
ग़ज़ल
आइना यारो दिखाना चाहिए था।
बज़्म में उसको बुलाना चाहिए था।।
प्यार थोड़ा तो जताना चाहिए था।
और धोका उससे खाना चाहिए था।।
बात इतनी क्यों बढ़ी कुछ सोचिए तो।
बाज उसको अब तो आना चाहिए था।।
गर नहीं आना था मेरे हाथ फिर तो।
नाम हाथों से मिटाना चाहिए था।।
इस क़दर क्यों रूठना होना ख़फ़ा ही।
‘दर्द’ ख़ुद को तो मनाना चाहिए था।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094