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ग़ज़ल
- ग़ज़ल
अंधेरों को मिटाना चाहता था।
दिये सा जगमगाना चाहता था।।
वो मेरे पास आना चाहता था।।
मैं जिससे दूर जाना चाहता था।।
जिसे भूले मुझे अरसा हुआ है।
मुझे वो याद आना चाहता था।।
वफा धोका मुहब्बत इश्क़ रंजिश।
मुझे वो आजमाना चाहता था।।
सभी से इस कदर नजदीकियां थीं।
किसी दिल में ठिकाना चाहता था।।
नहीं बन पाई उससे जिंदगी भर।
न जाने क्या ज़माना चाहता था।।
बदन वो सात सुर में था पिरोया।
ग़ज़ल सा गुनगुनाना चाहता था।।
मेरे पहलू में वो बैठा हुआ था।
किसी का दिल जलाना चाहता था।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094