उत्तराखंडयुवासाहित्य

आइना देखना दिखाना है। शर्त ये कैसी है ज़माने की।।

दर्द गढ़वाली की चार ग़ज़लों का आनंद लीजिए

ग़ज़ल

 

शर्त रक्खी है मुस्कुराने की।

बात करते हैं दिल दुखाने की।।

 

आइना देखना दिखाना है।

शर्त ये कैसी है ज़माने की।।

 

हमने तो दिल से तुमको चाहा था।

आपने ठानी आजमाने की।।

 

कौन सी नेमतें कभी बख्शी।

फ़िक्र हो क्यों हमें ज़माने की।।

 

वस्ल की बात आज रहने दें।

रात है हिज़्र को सजाने की।।

 

नाम मेरा वो रेत पर लिखकर।

साजिशें रच रहे मिटाने की।।

 

‘दर्द’ कांटों से क्यों शिकायत हो।

हमको आदत है ज़ख़्म खाने की।।

 

ग़ज़ल

 

ख़्वाब कोई उसको अनचाहा दिखे,

पांव का मेरे उसे छाला दिखे।

 

ठीक से तुमने उसे जाना कहां,

है नहीं वैसा तुम्हें जैसा दिखे।

 

किस तरह उस शख्स से कोई बचे,

जो कभी तेरा कभी मेरा दिखे।

 

ये जरूरी तो नहीं अच्छा ही हो,

देखने में जो हमें अच्छा दिखे।

 

जानकर अंधे हुए हैं लोग सब,

कैसे बचने का कोई रस्ता दिखे।

 

प्यास की उसका कोई सानी कहां,

‘दर्द’ दरिया भी जिसे कतरा दिखे।

 

दर्द गढ़वाली, देहरादून

09455485094

 

 

ग़ज़ल

 

सच अगर बोला तो मारा जाएगा।

एक दिन सूली चढ़ाया जाएगा।।

 

सच दिखाने की हिमाकत जो करे।

आइना वो तोड़ डाला जाएगा।।

 

वक्त पर यूं जोर है किसका चला।

वक्त आएगा तो देखा जाएगा।।

 

हम वतन पे वार देंगे जान भी।

कर्ज मिट्टी का उतारा जाएगा।।

 

खुद निशाने पे नहीं आएंगे हम।

दोस्तो का तीर ज़ाया जाएगा।।

 

अब तलक कपड़े उतारे हैं फकत।

और अब दामन भी नोचा जाएगा।।

 

भूख से बच्चे बिलखते हैं यहां।

पेट में कैसे निवाला जाएगा।।

 

हुक्म हाकिम ने ये जारी है किया।

जो भी बोलेगा वो मारा जाएगा।।

 

अहले-हक़ के सर उतारे जाएंगे।

झूठ को लेकिन नवाजा जाएगा।।

 

बीज बोके नफरतों के ‘दर्द’ यूं।

ये चमन कैसे संवारा जाएगा।।

 

——————

 

ग़ज़ल

 

गला सच का दबाया जा रहा है।

सियासत से भरोसा जा रहा है।।

 

दुहाई न्याय की दी जा रही है।

कहानी को घुमाया जा रहा है।।

 

नहीं है फायदा जिसमें किसी का।

वही मुद्दा उछाला जा रहा है।।

 

कतर के पर हमारे देखिए तो।

हमें उड़ना सिखाया जा रहा है।।

 

बड़ी मुश्किल से हो पाई सुलह थी।

हमें फिर से लड़ाया जा रहा है।।

 

जिसे हम चाहते थे भूल जाएं।

वही किस्सा सुनाया जा रहा है।।

 

किताबों में छिपाकर ख़त हमारा।

सहेली को पढ़ाया जा रहा है।।

 

हमीं से ‘दर्द’ उसने दांव सीखे।

हमीं पर आजमाया जा रहा है।।

 

दर्द गढ़वाली, देहरादून

09455485094

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