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गढ़वाली कथा साहित्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा गजेंद्र का कहानी संग्रह ‘चार रेखड़ा’

-रंगकर्मी गजेंद्र नौटियाल के कहानी संग्रह चार रेखड़ा का दून लाईब्रेरी में हुआ लोकार्पण 

देहरादून: नाटककार गजेन्द्र नौटियाल जितने अच्छे रंगकर्मी हैं, उतने ही अच्छे कथाकार। दून लाईब्रेरी में सोमवार को आयोजित समारोह में जब गजेंद्र के ‘चार रेखड़ा’ कहानी संग्रह का लोकार्पण हुआ, तो लोगों को उनके कथाकार के रूप का पता चला। चार रेखड़ा में गजेंद्र की 11 कहानियां हैं, जो उन्हें प्रेम चन्द जैसे कहानीकारों के समक्ष खड़ा करती हैं। प्रेम चन्द की तरह गजेंद्र ने भी अपने आसपास से पात्र उठाएं हैं, जो संवेदनशील पाठक को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। हालांकि यह कहानी संग्रह गढ़वाली भाषा में है, बावजूद इसके पाठक इसे पसंद करेंगे और गढ़वाली साहित्य के लिए यह कहानी संग्रह निश्चित रूप से मील का पत्थर साबित होगा।

  चार रेखड़ा की समीक्षा करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार और भाषाविद् बीना बेंजवाल ने कहा कि गजेंद्र की कहानी के पात्र अपने घर-परिवार के लगते हैं, जिससे पाठक इनसे जुड़ाव महसूस करेगा। गांव के पात्र, भाषा विन्यास कई विलुप्त होते शब्दों, मुहावरों का सुंदर संयोजन पुस्तक को पठनीय बनाता है। जनकवि डॉ.अतुल शर्मा ने गजेंद्र के साथ नाटकों की कार्यशाला का जिक्र करते हुए उनकी कथा वाचन शैली की सराहना की। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए लोकगायक पद्मश्री प्रीतम भरतवाण ने गजेंद्र के व्यक्तित्व को बहुआयामी बताया। उन्होंने कार्यक्रम में शामिल युवाओं से अपनी भाषा को बचाने के लिए आगे आने का आह्वान किया।

  वरिष्ठ साहित्यकार और मुख्य अतिथि सविता मोहन ने कहा कि गजेंद्र का यह कहानी संग्रह लोक समाज का यथार्थवादी चिंतन है, जो लोक साहित्य और समाज को नई दिशा देने में सफल होगा। कार्यक्रम की शुरुआत में गजेंद्र ने गढ़वाली लोक समाज को प्रतिबिंबित करती संग्रह की एक कहानी सतरु बेडा का सस्वर पाठ किया, जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा।

   समीक्षक डॉ.पवन कुदवान ने कहा कि अपने काल समय को सूक्ष्मता से कहानियों में समेटा गया है। शिल्पकार समाज के प्रति सामाजिक रवैये पर लेखक की कहानियां रोष व्यक्त करती सी लगती है। विनय ध्यानी ने कहा कि गजेंद्र की कहानियां जनपक्ष और खासकर पिछड़े समाज के पक्ष में नजर आती हैं। गोविन्द राम पेटवाल ने भी विचार व्यक्त किए। विनसर प्रकाशन के मालिक कीर्ति नवानी ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। संचालन डॉ.राकेश भट्ट ने किया। कार्यक्रम में दून लाईब्रेरी के प्रोग्राम एक्जीक्यूटिव चंद्रशेखर तिवारी ने कहा कि दून लाईब्रेरी में समय-समय पर समसामयिक विषयों पर कार्यक्रम हो रहे हैं, जो युवाओं के लिए लाभदायक साबित हो रहे हैं।

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