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दैवी आपदा मद में करोड़ों के घोटाले का आरोप, जांच की मांग

आवारा पशुओं से होने वाली समस्या को लेकर भी विपक्षी विधायकों ने सरकार को घेरा

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने भाजपा सरकार को विभिन्न मुद्दों पर जमकर घेरा। दैवी आपदा मद से होने वाले कार्यों और राहत राशि में जहां करोड़ों रुपए के घोटाले का आरोप लगाया, वहीं आवारा पशुओं के कारण लोगों को हो रही समस्या की अनदेखी करने का भी विरोध किया। विधायकों ने राहत राशि की बंदरबांट की जांच करने और दोषी पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने धारचूला क्षेत्र में दैवी आपदा से प्रभावित परिवारों के लिए आई राहत राशि में लाखों रुपए की बंदरबांट का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी भाजपा के एक नेता को 75 लाख का मुआवजा दे दिया गया, जबकि उनके क्षेत्र के आपदा प्रभावित को पांच लाख का मुआवजा देने में भी आनाकानी की गई।
खटीमा विधायक भुवन चंद्र कापड़ी ने क्षेत्र में जलभराव की समस्या उठाई। फसल बर्बाद हो गई। धान साठा पर रोक लगा दी। पुलिया नहीं बनाई, जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
नानकमत्ता विधायक गोपाल राणा ने भी अतिवृष्टि में राहत राशि को लेकर करोड़ों की बंदरबांट का आरोप लगाया। विधायकों का कहना था कि सिंचाई विभाग और आपदा प्रबंधन के अधिकारी विपक्षी विधायकों की सुनवाई नहीं करते हैं। सरकार भी मनमानी कर रही है। भाजपा से जुड़े मंडल अध्यक्षों के कहने पर राहत राशि की बंदरबांट कर दी जाती है। संसदीय कार्यमंत्री मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने सरकार का बचाव करते हुए सफाई दी। कहा कि दैवी आपदा को लेकर सरकार गंभीर है। राहत राशि दी गई है।

मंत्री रेखा आर्य और सुमित हृदयेश के बीच तीखी बहस
देहरादून और हल्द्वानी के स्टेडियम के पूरे नाम न लिखने पर विपक्ष के विधायक सुमित हृदयेश ने सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि दो पूर्व प्रधानमंत्री का पूरा नाम निमंत्रण पत्र पर सम्मान से लिखने के बजाय सरकार ने शार्ट में क्यों लिखा। इस पर मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि उनका नाम लिखा गया है, लेकिन दोनों के बीच बहस शुरू हो गई। इसी के साथ प्रश्नकाल समाप्त हुआ।

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