
ग़ज़ल
मामला कुछ जमा ही नहीं।
इश्क हमसे हुआ ही नहीं।।
तीर नजरों के चलते रहे।
कुछ किसी ने कहा ही नहीं।।
बस चले जा रहे हैं सभी।
मंजिलों का पता ही नहीं।।
हौसला क्या जरा सा दिया।
वो चला तो रुका ही नहीं।।
लुट गया काफिला राह में।
रहनुमा का पता ही नहीं।।
घर बुला तो लिया था मुझे।
वो मगर घर मिला ही नहीं।।
लड़ रहे इक सदी से सभी।
बात क्या है पता ही नहीं।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094