
ग़ज़ल
दे रहा है साथ मेरा बाखुदा कोई तो है।
दर्द की जो कर रहा मेरी दवा कोई तो है।।
है सिवा मेरे बताओ जो रहे दुख में भी ख़ुश।
दर्द में भी दे रहा मुझको मज़ा कोई तो है।।
दर्द मेरे बांटता थकता नहीं है वो कभी।
और ज़ख़्मों को हवा भी दे रहा कोई तो है।।
सुब्ह का भटका हुआ भी शाम को आ जाए घर।
राह जो सबको दिखाए वो ख़ुदा कोई तो है।।
बंद दरवाजे हैं लेकिन हैं खुली सब खिड़कियां।
राह मेरी आज तक भी ताकता कोई तो है।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094