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‘भेड़चाल’ ने दिया ‘सभ्य और जंगली’ के बीच के आखिरी रिश्ते को जीवित रखने का संदेश

दून लाइब्रेरी में सोमवार को हुआ भेड़चाल फ़िल्म का प्रदर्शन, फिल्म निर्माता और निर्देशक भी थे मौजूद

देहरादून: पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज सायं केन्द्र के सभागार में भेड़ चाल फ़िल्म का प्रदर्शन किया गया. अंकित पोगुला द्वारा निर्देशित यह वृतचित्र फिल्म कन्नड़, हिंदी, मराठी में है। इस फ़िल्म की अवधि 65 मिनट है। फिल्म प्रदर्शन के दौरान फिल्म निर्माता भी उपस्थित रहे और फ़िल्म प्रदर्शन के बाद उन्होंने फ़िल्म पर चर्चा भी की। भेड़चाल फ़िल्म को पर्दे पर निकोलस हॉफलैण्ड ने प्रदर्शित किया।


फ़िल्म के र्निदेशक अंकित पोगुला के अनुसार सात दशकों के पशुपालन के बाद, नीलकंठ मामा की भेड़ों की यात्रा एक क्रूर विराम की ओर बढ़ रही है। इस बीच, पास के एक गाँव में, वजीर की अपनी भेड़ों को घुमाने की कोशिश उनके घर के भीतर ही नाकाम हो रही है। उनका सबसे छोटा बेटा कहता है, “कोई भी लड़की चरवाहे से शादी नहीं करना चाहती।” दक्षिण भारत के सुरम्य दक्कन पठार पर आधारित, भेड़चाल दो कुर्बा खानाबदोश चरवाहों और उनकी देशी भेड़ों की दुर्गम यात्रा का अनुसरण करती है। बाड़बंद संजायती भूमि, बदलते मौसम और नई आकांक्षाओं से जूझते हुए, वे एक शाश्वत ब्रह्मांड को बचाने के लिए चलते रहते हैं।

वजीर कहते हैं, “भेड़ हमारा धर्म है।” यह फिल्म एक उत्तेजक भूमिका को निभाती है और हम सबसे पूछने का यत्न करती दिखती है कि धर्म यानि उद्देश्य के बिना जीवन क्या है? भेड़ों पर अक्सर अंधाधुंध चलते रहने से उसे भेड़ चाल या हर्ड वॉक कहने और चरवाहे पर कल्पनाहीन भटकने की बात कही जाती रहती है। इस फिल्म में जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती रहती है यह कहा जा सकता है कि वे शायद ‘सभ्य और जंगली’ के बीच के आखिरी रिश्ते को जीवित रखने का एक बड़ा प्रयास कर रहे हैं।

कार्यक्रम के प्रारंभ में केन्द्र के प्रोग्राम एसोसिएट, चन्द्रशेखर तिवारी ने सभी उपस्थित लोगों का स्वागत किया, मानव ने निर्देशक का परिचय दिया। र्निदेशक अंकित पोगुला ने फिल्म का परिचय दिया। धन्यवाद बिजू नेगी दिया।

कार्यक्रम में विजय भट्ट, डॉ. नीना एस. लाहिड़ी,आलोक सरीन,जयेश,विवेक सिंह,अपर्णा वर्धन,एन.राघवेंद्रे,डॉ. अंजलि,सृष्टि वर्मा,बी.एस. रावत,मेघा एन . विल्सन,डॉ. शशांक सिंह बिष्ट,डॉ. सुनैना रावत, संस्कृति नेगी,शशि भूषण,जगदीश बाबला, बिजू नेगी, विनोद सकलानी, जगदीश सिंह महर, सुन्दर सिंह बिष्ट, अरुण कुमार असफल, कुल भूषण, कल्याण बुटोला सहित शहर के कई फ़िल्म प्रेमी, रंगकर्मी, समाजिक कार्यकर्ता, लेखक व अन्य प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे।

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