उत्तराखंड में 40 हजार ठेकेदारों की रोजी-रोटी पर मंडराया संकट
-वित्त विभाग के 30 जून के आदेश ने उड़ाई ठेकेदारों की नींद, नई निविदा में धरोहर राशि और टर्नओवर की शर्तें की कड़ी, 200 प्रतिशत बढ़ाई टर्नओवर की सीमा, मुख्यमंत्री धामी का 10 करोड़ तक के काम में स्थानीय ठेकेदारों को प्राथमिकता का बयान बेमानी, ठेकेदारों ने क्षेत्रीय विधायकों के माध्यम से मुख्यमंत्री धामी तक पहुंचाई अपनी पीड़ा

देहरादून: उत्तराखंड सरकार के वित्त विभाग की ओर से 30 जून को जारी एक आदेश ने राज्य के 80 प्रतिशत ठेकेदारों की नींद उड़ा दी है। इस आदेश से 40 से 50 हजार ठेकेदारों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है। आक्रोशित ठेकेदारों ने इस आदेश को वापस लेने के लिए विधायकों के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से गुहार लगाई है।
उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों और व्यावहारिक पहलुओं को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली, 2017 में संशोधन करने का निर्णय लेते हुए प्रोक्योरमेंट के स्ट्रक्चर को मजबूत करने की मंशा जताई थी। इसके तहत उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड अधिप्राप्ति (प्रोक्योरमेंट) नियमावली, 2024 को प्रख्यापित करने का निर्णय लिया और 28 मई को धामी मंत्रिमंडल की बैठक में उत्तराखंड अधिप्राप्ति (प्रोक्योरमेंट) नियमावली में संशोधन को मंजूरी दे दी गई। प्रोक्योरमेंट नियमावली में संशोधन को मंजूरी मिलने के बाद, तमाम विभागों में 10 करोड़ रुपए तक की लागत के काम स्थानीय ठेकेदारों या स्थानीय पंजीकृत फर्मों के जरिए ही कराए जाने की बात कही गई। अभी तक स्थानीय ठेकेदारों के लिए यह सीमा 5 करोड़ रुपए थी। इसके साथ ही राज्य के विभागों में तमाम श्रेणियों में रजिस्टर्ड ठेकेदारों के लिए काम की सीमा को भी बढ़ाने का निर्णय लिया गया था।
धामी मंत्रिमंडल के इस निर्णय से ठेकेदारों में खुशी की लहर दौड़ गई थी। लेकिन वित्त विभाग के 30 जून के आदेश ने ठेकेदारों की खुशी को छीन लिया है। दरअसल इस आदेश में ठेकेदारों के टर्नओवर की सीमा 200 प्रतिशत तक बढ़ा दी है। यही नहीं धरोहर राशि भी 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दी गई है, जिससे छोटे ठेकेदारों की समस्या बढ़ गई है।
दरअसल, पहले की निविदा शर्तों के मुताबिक ठेकेदार को निविदा राशि का 50 प्रतिशत टर्नओवर देना होता था, लेकिन अब इसे 200 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी तरह पहले ठेकेदार को निविदा धनराशि का 25 प्रतिशत समान कार्य का अनुभव प्रमाण पत्र देना होता था, जिसे अब 80 प्रतिशत कर दिया है। उत्तराखंड राज्य से संबंधित ज्यादातर ठेकेदार पांच से दस लाख रुपए तक के काम करते रहे हैं। ऐसे में उनका टर्नओवर पचास लाख भी मुश्किल से हो पाता है। नई शर्तें लागू होने से उन ठेकेदारों का काम करना और मुश्किल हो जाएगा, जो छुटपुट ठेके लेकर किसी तरह रोजी-रोटी चला रहे हैं।
कांट्रेक्टर एसोसिएशन उत्तराखंड के अध्यक्ष कमल शर्मा ने कहा कि वित्त विभाग की नई शर्तें स्थानीय ठेकेदारों के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि इस आदेश से मुख्यमंत्री धामी का 10 करोड़ की निविदा राशि के काम में स्थानीय ठेकेदारों को प्राथमिकता देने की बात भी बेमानी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन से जुड़े ठेकेदार फिलहाल क्षेत्रीय विधायकों के माध्यम से मुख्यमंत्री को पत्र भेज रहे हैं, ताकि नई शर्तों को निरस्त कराया जा सके। शर्मा ने बताया कि अब तक कैंट विधायक सविता कपूर, सहसपुर विधायक सहदेव पुंडीर और रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ, विकासनगर विधायक मुन्ना सिंह चौहान और राजपुर विधायक खजाना दास ने ठेकेदारों से सहानुभूति जताते हुए मुख्यमंत्री धामी को पत्र भेजकर उनकी समस्या का समाधान करने का आग्रह किया है।
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वित्त विभाग ने जारी किया आदेश
देहरादून: उत्तराखंड शासन ने ई प्रोक्योरमेंट व्यवस्था के अंतर्गत नई निविदा शर्तें लागू करने के आदेश जारी कर दिए हैं। वित्त विभाग के सचिव दिलीप जावलकर ने 30 जून को जारी आदेश में सभी विभागों के प्रमुख सचिवों और उनके अधिनस्थ सचिवों से 10 लाख रुपए से अधिक की निर्माण सामग्री, निर्माण कार्य नई निविदा शर्तों के मुताबिक करने को कहा है। सिंचाई विभाग के सचिव युगल किशोर पंत ने बीती तीन जुलाई को अपर सचिव सिंचाई को पत्र भेजकर आदेश के अनुपालन की अपेक्षा की है। फिलहाल पंचायत चुनाव की आचार संहिता के कारण नई निविदा नहीं मांगी गई, लेकिन आचार संहिता समाप्त होने के बाद काम के लिए नई शर्तों के मुताबिक टेंडर मांगे जाएंगे।