उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड होगा खत्म, लागू होगा नया अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक
- उत्तराखंड में आगामी 2026 से मदरसा बोर्ड खत्म हो जाएगा, उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान विधेयक 2025 होगा लागू

देहरादून: उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार जल्द ही उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड को खत्म करने जा रही है। ऐसा करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा, जहां पर अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान अधिनियम बनने जा रहा है. इसके तहत अब सिर्फ मुस्लिम समुदाय को ही अल्पसंख्यक का दर्जा ही नहीं दिया जाएगा बल्कि, उसके साथ अन्य समुदाय जिसमें ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी और सिख समुदाय भी शामिल होंगे। वहीं, इस विधेयक के अधिनियम बनने से पहले जहां विपक्ष कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है, तो मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष से लेकर भाजपा इसे ऐतिहासिक निर्णय बता रही है।
अलग होगा यह अधिनियम: इस अधिनियम को उत्तराखंड के गैरसैंण विधानसभा मानसून सत्र में मंजूरी दे दी जाएगी।
उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान विधेयक 2025
जैसे ही राज्य में लागू होगा, वैसे ही उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। हालांकि, सरकार ने ये भी स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार का मकसद उत्तराखंड में अल्पसंख्यकों को अत्यधिक और स्मार्ट शिक्षा से जोड़ना है फिर चाहे वो मुस्लिम हों या अन्य समुदाय के लोग हों।
इस अधिनियम के बनते ही उत्तराखंड अन्य राज्यों से अलग अधिनियम बनाने वाला पहला राज्य भी बन जाएगा। इस विधेयक को 17 अगस्त को कैबिनेट में लाया गया था। बैठक में इस विधेयक पर बकायदा चर्चा हुई और उसके बाद कैबिनेट ने इस पर अपनी मुहर भी लगा दी।
इसे स्वीकृति और विधानसभा में पास होने के बाद अल्पसंख्यक समुदाय के शैक्षिक संस्थानों को एक ही जगह पर लाया जाएगा। अब तक उत्तराखंड में मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2016 और उत्तराखंड गैर सरकारी अरबी व फारसी मदरसा अधिनियम 2019 लागू है, लेकिन इस विधेयक के पास होने के बाद यह सभी नए अधिनियम के साथ शामिल हो जाएंगे।
सीएम धामी का कहना है कि यह अधिनियम उत्तराखंड में साल 2026 के शैक्षणिक सत्र से लागू होगा। इस अधिनियम के तहत मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक संस्थानों में गुरुमुखी और पाली भाषा भी पढ़ना अनिवार्य होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मानें तो इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। साथ ही अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकार भी मजबूत होंगे।