उत्तराखंड की प्रधानाध्यापिका डॉ. मंजू बाला को राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

नई दिल्ली/देहरादून: शुक्रवार को यहां विज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार-2025 समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की गरिमामयी उपस्थिति में केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने देशभर के 45 चयनित उत्कृष्ट शिक्षकों को सम्मानित किया। इस अवसर पर उत्तराखण्ड के चम्पावत जिले के राजकीय प्राथमिक विद्यालय च्यूरानी की प्रधानाध्यापिका डॉ. मंजू बाला को भी इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से अलंकृत किया गया। डॉ. मंजू बाला को यह सम्मान शिक्षा में त्रिभाषा तकनीक को अपनाकर शिक्षण-प्रक्रिया को अधिक सहज, प्रभावी एवं विद्यार्थियों के अनुकूल बनाने हेतु प्रदान किया गया है। इस उपलब्धि के साथ ही वे उत्तराखण्ड की पहली महिला प्रधानाध्यापिका बनी हैं, जिन्हें यह राष्ट्रीय स्तर का सम्मान प्राप्त हुआ। उनका योगदान उत्तराखण्ड राज्य के शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत है।
उत्तराखण्ड राज्य ने विगत वर्षों में गुणवत्तापूर्ण एवं सुलभ शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। राज्य के विद्यालयों में नवीन शिक्षण पद्धतियों, तकनीकी साधनों और शिक्षकों के सतत प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। डॉ. मंजू बाला जैसी शिक्षिकाओं की उपलब्धि इस प्रगति को और सशक्त बनाती है तथा राज्य की शिक्षा प्रणाली को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाती है।
डॉ. मंजू बाला ने अपने विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप कई नवाचारी पहलें की हैं। इन प्रयासों में मातृभाषा-आधारित शिक्षण को बढ़ावा देना, समावेशी शिक्षण वातावरण तैयार करना तथा गतिविधि-आधारित तरीकों से विद्यार्थियों में आलोचनात्मक चिंतन को प्रोत्साहित करना शामिल है।
उन्होंने बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान (Foundational Literacy and Numeracy) को सुदृढ़ करने पर विशेष ध्यान दिया है। इसके लिए उन्होंने शिक्षण-सहायक सामग्री (TLM) आधारित रोचक गतिविधियाँ अपनाईं और एक सतत मूल्यांकन प्रणाली विकसित की, जिससे विद्यार्थियों को सुधारात्मक सहयोग मिला।
तकनीक के उपयोग से स्मार्ट क्लास रूम, डिजिटल शिक्षण सामग्री और सुरक्षित स्कूल वातावरण बनाने की दिशा में उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किए हैं। इसके साथ ही उन्होंने बाल सभा और मासिक धर्म स्वच्छता पर जागरूकता अभियान भी चलाए।