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गंगा के बीच मिली 175 वर्ष पुरानी रेल लाइन, बनी कौतूहल का विषय

देहरादून : हरिद्वार में दशहरा से 19 अक्टूबर तक के लिए गंगनहर बंद किए जाने के बाद हरकी पैड़ी के पास गंगा के बीच रेत में अंग्रेजों के शासन काल में बिछाई गई रेलवे लाइन नजर आने लगी है। यह रेलवे लाइन वर्ष 2024 में पहली बार नजर आई थी। हरिद्वार रेलवे स्टेशन से करीब तीन किलोमीटर दूर स्थित यह रेलवे लाइन लोगों के लिए कौतूहल और जिज्ञासा का विषय बनी हुई है।
जानकारी के अनुसार, वर्ष 1850 के आसपास गंगनहर के निर्माण के दौरान रेलवे लाइन पर चलने वाली हाथ गाड़ी का इस्तेमाल निर्माण सामग्री ढोने के लिए किया जाता था। इसीलिए यह रेल ट्रैक बिछाया गया था। भीमगोड़ा बैराज से डाम कोठी तफ डैम और तटबंध बनाए जाने का काम पूरा होने के बाद अंग्रेज अफसर निरीक्षण करने के लिए भी इन्हीं गाड़ियों का इस्तेमाल करते थे। जानकार बताते हैं कि गंगनहर लार्ड डलहौजी का एक बड़ा प्रोजेक्ट था। जिसे इंजीनियर कोटले के सुपरविजन में तैयार किया गया।

महत्वपूर्ण तथ्य

यह रेल पटरी ब्रिटिश काल की है। जब वार्षिक नहर बंदी के कारण गंगा में पानी का स्तर कम होता है, तब ये पुरानी पटरियां दिखाई देती हैं।

यह रेल ट्रैक करीब 175 साल पुराना है और इसे लॉर्ड डलहौजी ने 1848 और 1856 के बीच गंगा नहर परियोजना के तहत बिछाया था।

इस रेलवे लाइन का इस्तेमाल मुख्य रूप से गंगा नहर के निर्माण कार्य में सामान और भारी मशीनों को लाने-ले जाने के लिए किया जाता था।

पटरियां वर्तमान हरिद्वार रेलवे स्टेशन से लगभग 3 किलोमीटर दूर मिली हैं।

वर्ष 2024 में गंगा के नीचे यह पुराना रेलवे ट्रैक दिखने से स्थानीय लोगों और पर्यटकों में काफी उत्सुकता पैदा हुई थी।

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