उत्तराखंडभाषा/बोलीसाहित्य

गढ़वाली कवियों ने जताई पर्यावरण पर चिंता

- दून लाइब्रेरी में हुआ गढ़वाली कवि सम्मेलन का आयोजन 

देहरादून:  धाद लोकभाषा एकांश देहरादून द्वारा गढ़वाली कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें कवियों द्वारा समसामायिक विषयों पर, स्त्री चेतना, पर्यावरण आदि विषयों पर काव्य पाठ किया। इसमें साहित्यकारों ने कहा कि हमारी गढ़वाली बोली के प्रति साहित्यिक रुझान बढ़ाने के लिए काब्य गोष्ठियों का आयोजन जरुरी है।

कार्यकर्म शुभारम्भ दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। धाद के केंद्रीय अध्यक्ष लोकेश नवानी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।  कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सामाजिक कार्यकर्त्ता नीरज पंत ने कहा कि आज गढ़वाली साहित्य का नव सृजन हो रहा हैँ औऱ यह गढ़वाली साहित्य के लिए नव युग का निर्माण हैँ।  आज के लेखक नूतन विषयो पर गंभीर कविताएं लिख रहें हैं। विशिष्ट अतिथि एवं वरिष्ठ साहित्यकार सुमित्रा जुगलान ने कहा कि इस तरह गढ़वाली काव्य गोष्ठीयों के आयोजन किया जाना आवश्यक है।  ऐसे कार्यक्रमो के आयोजन से हमारी गढ़वाली भाषा के प्रति साहित्यिक रुझान बढ़ेगा औऱ नए लेखकों को एक नई ऊर्जा मिलेगी।

धाद के केंद्रीय अध्यक्ष लोकेश नवानी ने कहा कि समय आ गया है कि गढ़वाली काव्य या कहानी को साहित्यिक मानको के अनुरूप स्तरीय लेखन की आवश्यकता है। अब नव सृजन नूतन औऱ आधुनिक विषयों पर लिखी कविताओं का युग है। अब गढ़वाली में भी इस तरह का साहित्य सृजन हो रहा है। यह अच्छा संकेत है। कार्यक्रम का संचालन शांति प्रकाश जिज्ञासु ने किया।

काव्य गोष्ठी का संचालन प्रेमलता सजवाण ने किया। वरिष्ठ कवि दिनेश डबराल, शाँति प्रकाश जिज्ञाशु बीना कंडारी, रक्षा बौड़ाई, शांति अमोली बिंजोला अंजना कंडवाल नैना, विनीता मैठाणी , मधुरवादिनी तिवारी,अर्चना गौड़, मनोज भट्ट गढ़वाळी, सिद्धि डोभाल, प्रिया देवली काव्य पाठ किया।

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