कविता बिष्ट के आवास पर बही काव्य रसधार
जीवन्ती देवभूमि साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था’ और हृदयागन साहित्यिक,सामाजिक संस्था के तत्वावधान में हुआ आयोजन

देहरादून: ‘जीवन्ती देवभूमि साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था’ और हृदयांगन साहित्यिक,सामाजिक संस्था के तत्वावधान में शुक्रवार रात को संस्था के प्रेरक दिलीप सिंह बिष्ट के जन्मोत्सव पर एक भव्य काव्य संध्या का आयोजन जीएमएस रोड स्थित इंजीनियर्स एनक्लेव में हर्षोल्लास एवं गरिमापूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में कवियों ने जहां देशभक्ति की रचनाएं सुनाई, वहीं सामाजिक और राजनीतिक विसंगतियों पर भी तंज कसे। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था की संरक्षक डॉ. विद्युत प्रभा चतुर्वेदी ‘मंजू’ ने की, जबकि डॉ. भारती मिश्रा ने कार्यक्रम का प्रभावी संचालन किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार असीम शुक्ल रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत कविता बिष्ट ने मां सरस्वती की वंदना से की। इसके बाद विधिवत कार्यक्रम का सिलसिला शुरू हुआ। सबसे पहले युवा कवयित्री स्वाति मौलश्री ने काव्य पाठ किया, जिसे काफी सराहा गया।
काव्य पाठ करने वाले प्रमुख रचनाकारों में डॉ. विद्युत प्रभा ‘मंजू’, असीम शुक्ल, डॉ. राम विनय सिंह, डॉली डबराल, जनाब अंबर खरबंदा, कुमार विजय द्रोणी, शिव मोहन सिंह, जनाब शादाब मशहदी, जसवीर ‘हलधर’, सत्यप्रकाश शर्मा सत्य, शायर लक्ष्मी प्रसाद बडोनी ‘दर्द गढ़वाली’, महिमा श्री, सतेंद्र शर्मा तरंग , डॉ.भारती मिश्रा जी, संजय प्रधान, रेखा जोशी, स्वाति मौली ने अपनी रचनाओं से समाज को झकझोरने का काम किया।
इस शुभ अवसर पर संस्था की अध्यक्ष कविता बिष्ट ‘नेह’ ने भावभीनी स्वर में प्रेम गीत प्रस्तुत किया “तुम प्रेम के सागर पिया, मैं उर बसी मधुमास हूँ…” सभी कवि कवयित्रियों ने भाव पूर्ण सुंदर प्रस्तुति देकर सभी का दिल जीत लिया। एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियो ने सुहानी शाम को यादगार बना दिया। सुन्दर साहित्यिक प्रस्तुतियों ने श्रोताओं को रस-विभोर कर दिया।
हृदयांगन संस्था के संस्थापक एवं महासचिव डॉ. विधुभूषण त्रिवेदी ने वीडियो संदेश के माध्यम से सभी को आशीर्वाद प्रदान किया तथा आयोजन की सराहना करते हुए डॉ. विद्युत प्रभा ‘मंजू’ एवं कविता बिष्ट ‘नेह’ को इस गरिमामय आयोजन के लिए शुभकामनाएँ व साधुवाद प्रेषित किया।
कार्यक्रम का अध्यक्षीय उद्बोधन डॉ. विद्युत प्रभा चतुर्वेदी ‘मंजू’ द्वारा दिया गया और काव्य संध्या को भावपूर्ण पूर्णता प्रदान किया।।