आध्यात्मिक धरती बद्रीनाथ धाम में बरसे साहित्य के विविध रंग
-नीरज नैथानी और डॉ. दीपक द्विवेदी की पुस्तकों का हुआ लोकार्पण -धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल और सीईओ विजय प्रसाद थपलियाल भी बने कार्यक्रम का हिस्सा

बद्रीनाथ धाम : हिमालयन साहित्य एवं कला परिषद, श्रीनगर गढ़वाल के बैनर तले भगवान बद्री विशाल की पवित्र धरती बद्रीनाथ धाम में आयोजित तीन दिवसीय साहित्य महोत्सव में जहां काव्य के विविध रंग बरसे, वहीं श्रोताओं ने दो दिनों तक आध्यात्मिक गंगा में डुबकी लगाई। बद्रीनाथ धाम में पहली बार किसी साहित्यिक समारोह का आयोजन किया गया। महोत्सव की शुरुआत सरस्वती वंदना, बद्री विशाल की स्तुति और दीप प्रज्वलन के साथ हुई।
साहित्य महोत्सव के पहले दिन 15 सितंबर को जहां कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, वहीं दूसरे दिन वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय नीरज नैथानी की पुस्तक ‘हिमालयी रोमांच’ के अलावा डा. दीपक द्विवेदी की दो पुस्तकों ‘मैं प्रेम हूं’ और ‘प्रेम सारावली’ का लोकार्पण किया गया। तीनों पुस्तकों का लोकार्पण धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल और सीईओ विजय प्रसाद थपलियाल ने किया। धर्माधिकारी ने सभी साहित्यकारों को बधाई दी। सीईओ विजय थपलियाल ने कहा कि साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है। साहित्यकारों का काम समाज में व्याप्त समस्याओं को उजागर कर सरकार को आइना दिखाना है, ताकि समस्या दूर हो सके।
इस मौके पर देहरादून से आए वरिष्ठ शिक्षाविद् और साहित्यकार डॉ. इंद्रजीत सिंह ने कहा कि नीरज नैथानी पहाड़ की पीड़ा को नजदीक से जानते, समझते और महसूस करते हैं, इसीलिए वह पाठकों से जुड़ जाते हैं। उनकी पुस्तक हिमालयी रोमांच में जहां ट्रैकिंग का रोमांच है, वहीं हिमालयी क्षेत्र की भी पीड़ा को दर्शाया है। उन्होंने पंजाबी कवि सुरजीत पातर के बहाने सच्चे कवि के कवित्व पर भी चर्चा की। चरण सिंह केदारखंडी ने नीरज नैथानी की पुस्तक हिमालयी रोमांच के तमाम पहलुओं की समीक्षा की। कहा कि नीरज ने हिमालयी रोमांच में अपने ट्रैकिंग के अनुभवों को साझा किया है।
यह पुस्तक पाठकों, खासकर शोधर्थियों के लिए मददगार होगी, क्योंकि इसमें हिमालय की परिस्थितियों को भी बखूबी बयां किया गया है। इस मौके पर दोनों वक्ताओं ने डॉ. दीपक द्विवेदी के कविता संग्रह को स्तरीय बताते हुए उन्हें संवेदनशील कवि बताया। नीरज नैथानी और डॉ. द्विवेदी ने पुस्तकों को लेकर अपने अनुभव साझा किए।
इससे पहले, गाजियाबाद से आए अरविंद पथिक, विमल बहुगुणा, देवेन्द्र उनियाल, भागवताचार्या विजय लक्ष्मी शुक्ला, डॉ. प्रभाकर जोशी, माधुरी नैथानी,भागवताचार्या विजय लक्ष्मी शुक्ल, हरदोई के श्री सुखदेव पांडेय सरल, श्रीनगर गढ़वाल से रक्षा उनियाल, मीनाक्षी चमोली, देवेश्वरी सेमवाल, कौशल्या नैथानी, देशपाल सिंह नेगी, अजय चौधरी, आरपी कपरवाण, पियूष उनियाल, दीवान सिंह रावत, कामेंद्र सिंह वीरेंद्र डंगवाल पार्थ, डॉ. एमएन नौडियाल, देवेश्वरी सेमवाल, दर्द गढ़वाली ने भी काव्य पाठ किया। जयकृष्ण पैन्यूली ने अपने सुंदर और प्रभावी संचालन से समां बांध दिया।