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कैम्ब्रियन स्कूल पर प्रशासन की सर्जिकल स्ट्राइक

प्रशासन की सख्ती के आगे बैकफुट पर आया नामी निजी स्कूल, बढ़ी हुई फीस घटाई, शिक्षा नहीं बनेगी व्यापार: डीएम ने दी सख्त चेतावनी

देहरादून : देहरादून का प्रतिष्ठित कैम्ब्रियन हॉल स्कूल आखिरकार जिला प्रशासन की सख्ती के आगे झुक गया। मुख्यमंत्री के निर्देशों और जिलाधिकारी सविन बंसल के नेतृत्व में त्वरित कार्रवाई के बाद स्कूल प्रशासन ने अपनी मनमानी 10% फीस वृद्धि को घटाकर 5% कर दिया है। इसके साथ ही अभिभावकों से अधिक वसूली गई राशि को आगामी मासिक किश्तों में समायोजित करने की लिखित अंडरटेकिंग भी दी गई है। प्रशासन के सख्त प्रवर्तन एक्शन से शहरभर के अभिभावकों को बड़ी राहत मिली है।
जनता दरबार में उठी थी आवाज, डीएम ने लिया तत्काल संज्ञान
14 जुलाई को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में आयोजित जनता दरबार में मोनिका राणा समेत कई अभिभावकों ने शिकायत की थी कि स्कूल प्रशासन जिला प्रशासन के आदेशों की अवहेलना करते हुए मनमाने ढंग से फीस बढ़ा रहा है। बच्चों की पढ़ाई अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बनती जा रही है। इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए डीएम सविन बंसल ने मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह की अध्यक्षता में कोर टीम गठित की और स्कूल की सीबीएसई संबद्धता हेतु राज्य सरकार द्वारा जारी एनओसी रद्द करने की चेतावनी के साथ प्रवर्तन कार्यवाही के निर्देश दिए।
जांच, नोटिस और तलब के बाद बदली स्कूल की चाल
मुख्य शिक्षा अधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी ने स्कूल को नोटिस जारी कर प्रिंसिपल को तलब किया। जांच में सामने आया कि स्कूल ने मई में जारी प्रशासनिक आदेशों को दरकिनार कर 10% तक फीस बढ़ा दी थी। इस पर स्कूल प्रशासन को फटकार लगाई गई और नियमों के अनुपालन की सख्त हिदायत दी गई। दबाव में आकर स्कूल ने फीस वृद्धि घटाकर 5% की। अतिरिक्त वसूली गई फीस को आगे समायोजित करने का निर्णय लिया। जिन्होंने अब तक फीस नहीं दी, उनसे कोई विलंब शुल्क नहीं लिया जाएगा, कक्षा 9–10 के गैर-कंप्यूटर छात्रों से कंप्यूटर फीस नहीं ली जाएगी। किताबें व ड्रेस किसी भी दुकान से खरीदने की अनुमति दी गई।
प्रशासन की दो-टूक: शिक्षा को व्यापार नहीं बनने देंगे
जिलाधिकारी सविन बंसल ने दो टूक कहा कि शिक्षा का उद्देश्य सेवा है, शोषण नहीं। यदि भविष्य में किसी भी निजी स्कूल द्वारा मानक से अधिक फीस वसूली, किताब/ड्रेस की अनिवार्यता या अन्य आर्थिक दवाब की शिकायत मिली, तो उसकी मान्यता निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने साफ किया कि “शिक्षा का मंदिर धंधे की दुकान नहीं बन सकता। यदि तमीज और आग्रह से न माने, तो प्रशासन जनहित में सर्जिकल एक्शन लेगा।”
प्रशासन की कार्रवाई के बाद क्या-क्या बदला?
फीस वृद्धि घटाई : 10% से कम होकर 5% पर लाई गई
समायोजन का आश्वासन: वसूली गई अधिक फीस आगे की किश्तों में घटाई जाएगी
नो लेट फाइन : विलंब से फीस देने वालों पर कोई लेट शुल्क नहीं
नो अनावश्यक कंप्यूटर फीस : गैर-कंप्यूटर छात्रों से कंप्यूटर फीस नहीं ली जाएगी
खुला विकल्प : किताबों-ड्रेस का कोई भी दुकानदार मान्य, स्कूल से खरीद की बाध्यता

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