अखाड़ा परिषद ने ‘शाही’ शब्द पर उठाया सवाल
-कुंभ में शाही की जगह संत करेंगे राजसी स्नान, श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा शाही शब्द है इस्लामिक

देहरादून: महाकाल की भादप्रद में निकलने वाली शाही सवारी के “शाही” शब्द पर आपत्ति के बाद कुम्भ के शाही स्नान से इसे हटाने के लिए बहस छिड़ गई है। संत-महंत इस शब्द के विरोध में उतर आए हैं। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने कहा, कुम्भ के स्नान से शाही शब्द हटाने की शुरुआत प्रयागराज से कर सकते हैं।आगामी वर्ष 2025 में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने वाले महा कुंभ में शाही स्नान से शाही शब्द हटाने की मांग की गई है ।कुंभ मेले में होने वाले शाही स्नान को लेकर अब सवाल उठाए जा रहे हैं। संत समाज ने शाही शब्द को इस्लामिक बताते हुए इसे हटाने की मांग की है।अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि इस विषय पर 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों से चर्चा की जाएगी और भविष्य में प्रयागराज, उज्जैन, नासिक और हरिद्वार में होने वाली कुंभ मेले में शाही स्नान का नाम बदलकर राजसी स्नान या किसी अन्य नाम पर विचार किया जाएगा।इस विषय पर बैठक बुलाने का निर्णय लेते हुए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज ने बताया कि शाही शब्द को हटाकर शुभ मुहूर्त के अनुसार सभी अखाड़ों की राय लेकर नया शब्द लगाने का निर्णय लिया है।रविंद्र पुरी महाराज का कहना है कि शाही शब्द उर्दू से जुड़ा शब्द है, जो कि मुगलों के समय में दिया गया था। इसे सभी अखाड़ों की सहमति से से बदला जाएगा। उन्होंने कहा कि 13 अखाड़ों के कई संतों से बात करने के बाद शाही शब्द को गुलामी का प्रतीक बताते हुए इसे हिंदू धार्मिक आयोजनों से हटाने की बात कही है।उन्होंने कहा कि जिस जगह पर जिसका शासन रहता है तो वहां की भाषा दैनिक जीवन में आ जाती है. यही भारत वर्ष के साथ हुआ।मध्यकाल के दौरान अक्रांताओं का कुछ जगहों पर इस तरह से प्रभाव बढ़ा कि उनकी भाषा की व्यापकता हमारे दैनिक जीवन के अंदर आ गई। लेकिन अब वक्त बीत चुका है, तो हमें हमारे मूल स्वरूप की तरफ लौटना चाहिए। मध्य प्रदेश शासन ने बहुत अच्छी बात कही कि शाही सवारी को राजसी सवारी कह सकते हैं। यह स्पष्ट है किसी भी शब्द से पराधीनता का आभाष होता है, तो उसे हटा देना चाहिए।इसलिए हम चाहते हैं कि कुंभ मेले के स्नान दिव्य स्नान कहलाने लगे। आपको बताते चलें कि विगत सोमवार को महाकाल की भादप्रद में निकलने वाली अंतिम सवारी निकाली गई। सीएम डॉ. मोहन यादव ने वीडियो जारी कर कहा, ‘आज उज्जैन में बाबा महाकाल की राजसी सवारी निकल रही है।’इसी दिन विद्वानों ने शाही शब्द पर आपत्ति उठाई। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज का कहना है कि सीएम ने अच्छी शुरुआत की है। हम इसको आगे बढ़ाएंगे।उज्जैन, प्रयागराज, हरिद्वार और नासिक जैसे नगरों में महा कुम्भ पर्व के आयोजन होते हैं। इस दौरान शाही स्नान के लिए साधु-संत, श्रद्धालु पहुंचते हैं।