इंडो-जर्मन संस्कृति के मिलन की गवाह बनी दून लाईब्रेरी
-अंग्रेजी उपन्यास 'बनारस मीट्स बर्लिन' की युवा लेखिका डॉ. योजना साह जैन से मुलाकात, अपनी लेखन यात्रा को किया साझा, युवा लेखकों को ज्यादा से ज्यादा अध्ययन की दी सलाह

देहरादून: दून लाईब्रेरी शनिवार को इंडो-जर्मन संस्कृति के मिलन की गवाह बनी। मौका था अंग्रेजी उपन्यास ‘बनारस मीट्स बर्लिन’ की युवा लेखिका डॉ. योजना साह जैन से मुलाकात का। युवा लेखिका ने श्रोताओं से न केवल अपनी लेखन यात्रा को साझा किया, बल्कि इस उपन्यास पर विस्तार से चर्चा भी की। उन्होंने युवा लेखकों को लेखन से पहले ज्यादा से ज्यादा अध्ययन करने की सलाह दी। कहा कि यदि आप ऐसा करेंगे, तो जो कुछ भी आप लिखेंगे, वह गुणवत्तायुक्त होगा और पाठक आपसे जुड़ा महसूस करेगा।
डॉ. योजना ने अपनी पुस्तक पर चर्चा करते हुए कहा कि ‘बनारस मीट्स बर्लिन’ बनारस की युवती और बर्लिन के युवक की प्रेम कहानी है। रिचर्ड उर्फ रिकी जर्मन की राजधानी बर्लिन शहर का लड़का है और रागिनी प्राचीन शहर बनारस की लड़की है। अतृप्त जिज्ञासा और अदम्य लालसा से प्रेरित होकर रिकी और रागिनी एक रोमांचक यात्रा पर निकल पड़ते हैं, जो उनकी भावनाओं की सीमाओं को पार करती व उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल देती है। कोरोना महामारी और उसके गंभीर परिणामों की पृष्ठभूमि के मध्य उनकी प्रेम कहानी उनके शहरों की नियति के साथ जुड़ जाती है।
इस दौरान लेखिका ने कोरोना काल में जर्मनी और भारत की स्थितियों पर चर्चा करते हुए कुछ सवाल भी उठाए। उन्होंने बनारस पर एक कविता भी सुनाई। कहा कि बनारस में ही उन्हें इस उपन्यास के लिखने की प्रेरणा मिली और इसीलिए उन्होंने इसे महादेव को समर्पित किया है। प्रफुल्ल जैन और वेदांत चौधरी ने उपन्यास पर वक्तव्य दिया। इससे पहले कार्यक्रम का संचालन करते हुए निकोलस हाफलैंड ने कहा कि योजना साह जैन के उपन्यास बनारस मीट्स बर्लिन में दोनों देशों की संस्कृतियों की खूबसूरती समाई हुई है। यह उपन्यास बनारस और बर्लिन के दो लोगों की प्रेम कहानी पर आधारित होते हुए भी दोनों देशों के दर्शन और ज्ञान शाखा से परिचित कराता है। गौरवी ने भी लेखिका से उनकी लेखन यात्रा पर सवाल पूछे।
कार्यक्रम में डॉ. लालता प्रसाद, शिव प्रसाद जोशी, शोभा शर्मा, डॉ. अतुल शर्मा, मनोज पंजानी, दर्द गढ़वाली, रंजना, डॉ. मनोज कुमार पंजानी, सुंदर सिंह बिष्ट, हर्षमणि भट्ट कमल, शैलेंद्र नौटियाल आदि उपस्थित थे। दून लाईब्रेरी के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
——————–
रोमांच से भरपूर प्रेम कहानी पर आधारित उपन्यास:
यह पुस्तक एक इंडो-जर्मन प्रेम कहानी को बहुत शानदार तरीके से रेखांकित करते हुए कई महत्वपूर्ण सर्न्दभों को उद्घाटित करती है जहां प्यार कोई सीमा नहीं जानता, वह उम्र, धर्म, विश्वास या मानचित्र पर खींची गई रेखाओं के प्रति अडिग होता है। ऐसे देश में जहां अंतर-क्षेत्रीय विवाह पर अब भी सवाल उठते हैं, सभी बाधाओं को पार करने वाली यह एक उम्दा प्रेम कहानी है।
रिचर्ड उर्फ़ रिकी, बर्लिन जो जीवंत क्लबों, महानगरीय स्वभाव और जर्मन की जीवंत राजधानी से भरा शहर है का एक लड़का है। रागिनी, इतिहास, धर्म और संस्कृति से समृद्ध एक प्राचीन शहर बनारस की एक चंचल और विद्रोही भावना वाली लड़की है। नियति की सनक से निर्देशित होकर मानो उनके रास्ते आपस में जुड़ते हैं। उल्लेखनीय रूप से विपरीत दुनिया से दो आत्माएं एक साथ मिलते हैं। अतृप्त जिज्ञासा और अदम्य लालसा से प्रेरित होकर, रिकी और रागिनी एक रोमांचक यात्रा पर निकल पड़ते हैं जो उनकी भावनाओं की सीमाओं को पार करती व उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल देती है। कोरोना महामारी और उसके गंभीर परिणामों की पृष्ठभूमि के मध्य, उनकी प्रेम कहानी उनके शहरों की नियति के साथ जुड़ जाती है। अभी भी वे साझा हितों, अप्रत्याशित कोनों में खिलने वाले प्यार, भ्रम के क्षणों और गहन आत्म-खोज से निकलकर, एक विस्मयकारी रोलर कोस्टर की सवारी करते हैं।
————————————-
लेखिका का परिचय:
अनुसंधान, वैज्ञानिक और चिकित्सा क्षेत्रों में 16 वर्षों से अधिक के प्रभावशाली नेतृत्व के साथ योजना ने भारत और जर्मनी में कई प्रतिष्ठित फार्मास्युटिकल बहुराष्ट्रीय कंपनियों में अपनी विशेषज्ञता को निखारा है। डॉ. योजना साह जैन की अब तक तीन कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। इनकी भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित कागज पर फुदकती गिलहरियां नामक एक बहुप्रशंसित कविता संग्रह और प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इमली का चटकारा नामक एक कहानी संग्रह भी प्रकाशित हो चुका है।