…….और फिर दून लाइब्रेरी में उतर आया अपना जौनपुर
आईपीएस और लेखक अमित श्रीवास्तव की सद्य प्रकाशित पुस्तक सिराज_ ए_ जौनपुर का हुआ लोकार्पण

देहरादून: आईपीएस और लेखक अमित श्रीवास्तव की सद्य प्रकाशित पुस्तक सिराज_ ए_ जौनपुर का रविवार को दून लाइब्रेरी में लोकार्पण हुआ। इसमें जौनपुर से संबंधित लगभग पैंतीस आलेख हैं। बेहद आत्मीय। अब और रंगरेज़न हो या एकदा गोमती तीरे चौदह लाशें हो या शोभा चाचा, चेला अमावस या डा. दिवेदी, भाखा बहता पीड़, बहुत कुछ चुकाना है मुझे, जौनपुरिया चाई, सुलेमान बाबा। सभी बहुत पठनीय हैं, रोचक हैं और साथ ही एक शहर को रेखांकित करने वाले आलेख हैं। संस्मरण, स्मृति, शब्द चित्र, गद्य गीत या एक नयी तरह का शाब्दिक संसार बनाते, जो शाब्दिक होने के साथ-साथ अर्थपूर्ण भी हैं और हमेशा रहने वाले अलिखित इतिहास भी हैं।
मंच पर लेखक शंखधार दुबे और भुवन चंद्र कुनियाल ने जो चर्चा लेखक से की, वह तो अभूतपूर्व रही। जिन्होंने पुस्तक पढ़ी नहीं थी, उनका भी पुस्तक से परिचय हो गया। जिज्ञासा भी बढ़ी। लेखक के उत्तर सटीक रहे। कहा कि पाठक जैसा चाहते है, वैसा क्यों लिखा जाए। लिखता वह हूँ, जो मुझे लिखना और प्रस्तुत करना होता है। पाठक चाहे तो गहराई में जाये। विधाओं के फोर्म को भी तोड़ने में कोई झिझक नहीं।
यह एक ऐसा साहित्य विमर्श रहा जो बहुत दिनों बाद हमें जोड़ ले गया। फिर उपस्थित लोगों से भी आग्रह किया गया कि चाहे तो प्रश्न पूछें। मैंने भी कुछ कहा कि कोई भी शहर कुछ महत्वपूर्ण लोगों से जाना जाता है और इस पुस्तक में बहुत लोगों के साथ एक नाम है अजय कुमार, जिनका अखबार हमारे घर पर शायद सन साठ में आता था,,,, समय। उनका नाम भूमिका में दिया गया है। और वहाँ एक और नाम है ठाकुर रामेश्वर प्रसाद।
इसके उत्तर में लेखक ने बेहद आत्मीय भाव से बताया कि यह पुस्तक तिलक लाईब्रेरी को समर्पित है और आदरणीय ठाकुर पुरुषोत्तम ने ही यह स्थापित की थी, जहाँ मैं तरुण और युवावस्था से जुड़ा रहा। अजय बहुत विराट व्यक्तित्व हैं।
लेखक अमित श्रीवास्तव की पुस्तक के फ्लैप पर हमारे पुराने मित्र अशोक पांडे ने लिखा है, अपने शहर के नाम एक ऐसा ज़िन्दा मोहब्बतनामा लिखा है जिसकी स्याही जल्दी फीकी नहीं होने वाली।
अन्य लोगों ने भी सटीक उदबोधन किया, जिनमें ऋचा पाठक, डॉ. सुशील उपाध्याय, डॉ. सुधा रानी पांडेय आदि शामिल रहे। अंत में दून लाईब्रेरी के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी ने आभार व्यक्त किया।
(डॉ. अतुल शर्मा की कलम से)