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अंकिता हत्याकांड: फैसला आया पर बाकी है इंसाफ !

- ख़ुद अंकिता के माता-पिता ने फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की बात कही, अभियोजन पक्ष की कमजोर पैरवी और वीवीआईपी पर चुप्पी बड़ा सवाल 

– लक्ष्मी प्रसाद बडोनी

देहरादून: बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में अदालत ने शुक्रवार को फैसला दे दिया। मामले में एडिशनल सेशन जज की अदालत ने पुलकित आर्या समेत तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत का फैसला भले ही आ गया, लेकिन अंकिता भंडारी और उसके माता-पिता को इंसाफ मिलना बाकी रह गया। ख़ुद अंकिता के माता-पिता ने जिला अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की बात कही है।

  कोटद्वार की एडिशनल सेशन जज रीना नेगी की अदालत ने करीब दो साल की लंबी सुनवाई के बाद अंकिता के हत्याभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई। बहुचर्चित हत्याकांड के फैसले पर निगाह जमाए लोगों का मानना है कि विवेचना में साक्ष्यों को गंभीरता से पेश न करने के कारण अभियोजन पक्ष अदालत में इसे रेयर इन रेयरेस्ट साबित नहीं कर पाया, जिससे दोषी फांसी की सजा से बच गए। हालांकि सारे सबूत हत्यारों के खिलाफ थे। अंकिता की हत्या का मामला प्रकाश में आने के बाद जिस तरीके से वनंतरा रिजार्ट में बुलडोजर चलवाकर सबूत मिटाने की कोशिश की गई। वह वीवीआईपी, जिसके कारण एक मासूम को जान गंवानी पड़ी। बार-बार इस तथ्य के प्रकाश में आने के बावजूद संबंधित वीवीआईपी के नाम से परहेज़ किया गया और उसे एफआईआर में लाने तक की जहमत नहीं उठाई गई। इससे अभियोजन पक्ष की कमजोर पैरवी और दोषियों के रुतबे और दबाव का साफ पता चल जाता है।

यही नहीं, अंकिता के जम्मू निवासी दोस्त पर आरोपी पक्ष ने जिस तरीके से शुरू से ही दबाव बनाकर मामले को उलझाने की कोशिश की। मामले की पैरवी कर रहे सोशल मीडिया से जुड़े पत्रकारों को धमकाने की कोशिश की गई। सत्ताधारी पार्टी से जुड़े होने का डर दिखाकर आरोपियों ने शुरू से ही मामले को कमजोर करने की कोशिश कर दी थी, जिसका नतीजा शुक्रवार को सामने आ गया। बहरहाल अंकिता के माता-पिता ने जिला अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की बात कही है और उम्मीद जताई है कि उन्हें इंसाफ जरूर मिलेगा।

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