
जोधपुर: यौन उत्पीड़न के मामले में जोधपुर सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को राजस्थान हाई कोर्ट ने उपचार के लिए सात दिन की पैरोल मंजूर की है। वह 11 साल बाद जेल से बाहर आएगा।
आसाराम की कुछ दिन पहले अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। उसने सीने में दर्द की शिकायत की थी, जिसके बाद जेल प्रशासन ने उसे जोधपुर एम्स में भर्ती कराया था। यहां मेडिकल चेकअप के बाद उसे इलाज के लिए भर्ती कर लिया गया था। वह 10 अगस्त से जोधपुर एम्स में भर्ती है। आसाराम की तबीयत खराब होने और जोधपुर एम्स में भर्ती होने की खबर सार्वजनिक होते ही, अस्पताल के बाहर उसके समर्थकों की भीड़ लग गई थी। आसाराम को 2018 में जोधपुर की एक विशेष पोक्सो अदालत ने नाबालिग के साथ बलात्कार का दोषी ठहराया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
साल 2013 में, गुजरात में दुष्कर्म के एक और मामले में भी आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं को दोषी ठहराया गया है। गांधीनगर की सेशन कोर्ट ने आसाराम को शिष्या के साथ दुष्कर्म करने और उसे बंधक बनाने के मामले में दोषी माना है। जिस शिष्या ने आसाराम पर केस दर्ज करवाया था, उसकी बहन ने ही उनके बेटे पर भी दुष्कर्म का केस दर्ज करवाया था।
दरअसल, 5 जुलाई 2008 को गुजरात के मोटेरा आश्रम के बाहर साबरमती नदी के सूखे इलाक में दो नाबालिग लड़कों के जले हुए शव मिले थे। बाद में पता चला कि दोनों चचेरे भाई थे। बच्चों के परिजनों का आरोप था कि उन दोनों का दाखिला गुरुकुल में करवाया गया था और तंत्र-मंत्र के लिए बच्चों की बलि दे दी गई। तब से आसाराम का पतन शुरू हुआ और आने वाले समय में कई आरोप, उनपर और उनके बेटे पर लगते गए।
आसाराम का जन्म 17 अप्रैल 1941 को मौजूदा पाकिस्तान के नवाबशाह जिले के बेरानी गांव में हुआ था। वह एक सिंधी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनकी मां मेनगिबा और पिता थौमल सिरुमलानी थें. बंटवारे के बाद आसाराम का परिवार गुजरात के अहमदाबाद में बस गया। बचपन में घर चलाने के लिए आसाराम ने कभी चाय बेटा तो कभी तांगा चलाया और शराब के धंधे में भी काम किया था।
आसाराम हमेशा से एक गृहस्थ रहे और उसे कभी साधु नहीं ठहराया गया। उसके के दो बच्चे हैं। बेटा नारायण साईं और एक बेटी है। उनका बेटा नारायण आसाराम के साथ काम करता है। 1970 के दशक की शुरुआत में आसाराम सुर्खियों में आने लगे थे और फिर कई आश्रम देश भर में उन्होंने खोले।