
ग़ज़ल
नाज़ उसके रहे उठाने में।।
उम्र गुज़री उसे मनाने में।।
चांद चहरे ख़ुदा बनाता है।
ये नहीं ढ़लते कारखाने में।।
दम निकलते हुए कभी देखा।
जान जाती है जान जाने में।।
हमसे पूछो नशा मुहब्बत का।
उम्र गुज़री शराबखाने में।।
वो लगा है हमें गिराने में।
गिर गए थे जिसे उठाने में।।
आप आओ तो चैन से सोएं।
दो घड़ी है ये जान जाने में।।
माह भर की गई कमाई है।
किश्त अपनी सभी चुकाने में।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094