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आला अधिकारियों की कार्यप्रणाली से दिव्यांग महिला ऑप्टोमेट्रिस्ट परेशान

- स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का एक और कारनामा उजागर, 47 प्रतिशत दिव्यांगता के बावजूद आरटीओ कार्यालय में लगाई ड्यूटी, दूसरी ओर स्टिंग ऑपरेशन में पैसे लेते पकड़े गए ऑप्टोमेट्रिस्ट को किया बहाल, दिव्यांग महिला कर्मचारी को कर रहे परेशान

देहरादून: राजधानी में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली चर्चा का विषय बनी हुई है। प्रदेश के सबसे बड़े नेत्र चिकित्सालय गांधी शताब्दी अस्पताल में स्टिंग ऑपरेशन में पकड़े गए एक ऑप्टोमेट्रिस्ट को जहां फिर से तैनात कर दिया गया, वहीं प्रेमनगर स्थित उपजिला अस्पताल की एक महिला ऑप्टोमेट्रिस्ट को बेवजह परेशान किया जा रहा है। हैरत की बात है कि 47 प्रतिशत दिव्यांग महिला ऑप्टोमेट्रिस्ट की ड्यूटी शुक्रवार को ड्राइवरों के नेत्र परीक्षण के लिए आरटीओ कार्यालय में लगाई गई है, जबकि इसके लिए नेत्र
सचल दल को नियुक्त किया जाना चाहिए था। आला अधिकारियों की मनमानी से महिला ऑप्टोमेट्रिस्ट परेशान हैं।

दरअसल, केंद्र सरकार की एक स्कीम सड़क सुरक्षा सप्ताह के तहत शुक्रवार को देहरादून के राजपुर रोड स्थित आरटीओ कार्यालय में ड्राइवरों का स्वास्थ्य और नेत्र परीक्षण किया जाना है। इसके लिए सीएमओ कार्यालय की ओर से प्रेमनगर स्थित उप जिला चिकित्सालय में तैनात एकमात्र महिला ऑप्टोमेट्रिस्ट की ड्यूटी लगाई गई है। हैरत की बात यह है कि यह महिला ऑप्टोमेट्रिस्ट 47 प्रतिशत दिव्यांग है और वाकर के सहारे चलती है। आरोप है कि महिला ऑप्टोमेट्रिस्ट ने अपनी दिव्यांगता का हवाला देते हुए आग्रह किया कि वह सीढ़ी नहीं चढ़ सकती हैं और वाकर के सहारे चलती हैं, इसलिए उनकी ड्यूटी आरटीओ कार्यालय में न लगाई जाए, बावजूद इसके उनकी सुनवाई नहीं हुई। हैरत की बात है कि ऑप्टोमेट्रिस्ट अनिल कुमार टम्टा की तैनाती नेत्र सचल दल में है, जो खुद सीएमओ कार्यालय के अधीन है। इस नेत्र सचल दल का काम ही जगह-जगह नेत्र शिविर में जाना है, लेकिन आला अधिकारियों का वरदहस्त होने के नाते इस दल में तैनात कार्मिक को गांधी शताब्दी अस्पताल में ही रखा गया है। कायदे से नेत्र सचल दल के लिए तैनात ऑप्टोमेट्रिस्ट की ड्यूटी आरटीओ कार्यालय में ड्राइवरों की नेत्र जांच के लिए लगाई जानी चाहिए थी। यहां बता दें कि ऑप्टोमेट्रिस्ट अनिल कुमार टम्टा को पिछले साल एक स्टिंग ऑपरेशन के जरिए मरीजों को चश्मा बेचने के आरोप में पकड़ा गया था। लेकिन कुछ दिन हटाने के बाद टम्टा को फिर गांधी शताब्दी अस्पताल में नियुक्त कर दिया गया, जबकि दिव्यांग महिला ऑप्टोमेट्रिस्ट की सुनवाई नहीं हो रही। इस मामले में सीएमओ डॉ. संजय जैन से मोबाइल फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन उठाने की जहमत तक नहीं उठाई।

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