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अनुसंधान और विकास पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार को किया मंथन 

-सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देहरादून में नीति आयोग की दूसरी राष्ट्रीय परामर्श बैठक आयोजित

देहरादून :  भारत के अनुसंधान और विकास पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार पर दूसरी राष्ट्रीय परामर्श बैठक नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके सारस्वत की अध्यक्षता में मंगलवार को सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून में प्रारम्भ हुई। यह दो दिवसीय बैठक भारतीय अनुसंधान और विकास पारिस्थिति की चुनौतियों के समाधान के लिए आयोजित की जा रही है। इस संदर्भ में पिछले माह राजभवन, लखनऊ में प्रथम परामर्शी बैठक आयोजित की गयी थी।

नीति आयोग की इस पहल का उद्देश्य देश में एक प्रगतिशील, नवाचार-संचालित तथा सक्रिय अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना करना है, जिसमें सरकारी अनुसंधान और विकास संस्थानों तथा प्रयोगशालाओं के सामर्थ्य को बढ़ाने और मज़बूत करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

डॉ. एन. कलैसेल्वी, महानिदेशक, सीएसआईआर और सचिव, डीएसआईआर,   प्रो.  आशुतोष शर्मा, अध्यक्ष भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, डॉ. हरेन्द्र सिंह बिष्ट, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईपी, नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार प्रो. विवेक कुमार सिंह तथा प्रमुख वैज्ञानिक मंत्रालयों और विभागों के अन्य वरिष्ठ प्रतिनिधियों की गरिमामयी उपस्थिति में इस बैठक का उद्घाटन किया गया। प्रो. विवेक कुमार सिंह ने संस्थागत दक्षता, नवाचार-केंद्रित शासन और उन्नत उद्योग-शैक्षणिक सहयोग पर केंद्रित विषय के निर्धारण के साथ पहले दिन के विचार-विमर्श की शुरुआत की।

इस परामर्शी बैठक के उद्घाटन सत्र के दौरान नीति आयोग के माननीय सदस्य डॉ. वी. के. सारस्वत ने   भारतीय सरकारी अनुसंधान और विकास संस्थानों का एक सक्रिय, स्वायत्त तथा मिशन-संचालित पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में कायाकल्प किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधान में प्रशासनिक प्रक्रिया में होने वाली देरी और कठोर पदानुक्रम के बंधनों से मुक्त कर एक विकेंद्रीकृत – निर्णय लेने में सक्षम, समय पर वित्त पोषित और निष्पादन आधारित दायित्व के माध्यम से सशक्त बनाने पर बल दिया। डॉ. सारस्वत ने हितधारकों के साथ निरंतर जुड़ाव और साक्ष्य-आधारित नीतिगत सिफारिशों के माध्यम से सर्वांगीण सुधारों की नीति आयोग की प्रतिबद्धता को भी दोहराया। डॉ. एन. कलैसेल्वी, महानिदेशक सीएसआईआर और सचिव डीएसआईआर ने नीति आयोग द्वारा आयोजित इस अति महत्वपूर्ण संवाद बैठक की पहल की सराहना की और चिरकालिक अवसंरचनात्मक मुद्दों के समाधान में   सहयोगात्मक शासन के महत्व पर बल दिया। उन्होंने अनुसंधान और विकास के बुनियादी ढांचे (विशेष रूप से टियर 2 और टियर 3 संस्थानों में) के रुपांतरण और प्रभावी अन्तरणीय अनुसंधान को बढावा देने के लिए उद्योग – शैक्षणिक साझेदारी को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। डॉ. कलैसेल्वी ने राष्ट्रीय वैज्ञानिक प्रयासों के स्थानीय नवाचार की आवश्यकताओं के साथ मिलान के महत्व के बारे में भी बताया। प्रो. आशुतोष शर्मा, अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी ने  विज्ञान के मानवीय आयाम पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होने शोधकर्ताओं में अधिक विश्वास, सूक्ष्म प्रबंधन को कम करने और विज्ञान में करियर के सरल मार्गों के निर्माण की आवश्यकता पर भी बात की ।

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