नीति–मलारी हाईवे पर पुल बहा, दर्जनों गांवों का संपर्क कटा
उत्तराखंड में बारिश का कहर जारी, गंगोत्री हाईवे और यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग भी बंद, हल्द्वानी–चोरगलिया राज्यमार्ग भी बाधित

देहरादून/जोशीमठ: उत्तराखंड इन दिनों मौसम की मार से जूझ रहा है। पर्वतीय जिलों में हालात गंभीर बने हुए हैं और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। चमोली जनपद में बारिश ने एक बार फिर कहर बरपाया है। नीति–मलारी हाईवे पर तमक के पास पुल बह जाने से घाटी के दर्जनों गांवों का संपर्क पूरी तरह कट गया है। इन गांवों तक न तो जरूरी सामान और आवाजाही बंद होने से ग्रामीण दिक्कत में है। प्रशासन की ओर से वैकल्पिक मार्ग बहाल करने की कोशिशें की जा रही हैं।
राज्य के अन्य हिस्सों में भी सड़क मार्गों पर आपदा का असर साफ नजर आ रहा है। एक दर्जन के करीब मुख्य मार्ग भूस्खलन के कारण या तो बंद हैं या आंशिक रूप से खुले हैं। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग स्यानाचट्टी, जर्जर गाड़, बनास और नारदचट्टी के पास जगह-जगह मलबा आने से बंद पड़ा है। गंगोत्री हाईवे पर भी धरासू बैंड और नेताला के पास भारी भूस्खलन हुआ है, जिससे मार्ग अवरुद्ध हो गया है। उधर कुमाऊं में भी मौसम की मार पड़ी है। शेर नाला और सूर्या नाला में पानी का अधिक प्रवाह होने से हल्द्वानी – चोरगलिया सितारगंज राज्य मार्ग बाधित हो गया है। इन बाधाओं को दूर करने के लिए मशीनरी लगातार काम कर रही है, लेकिन लगातार हो रही बरसात से मलबा हटाने का कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है।
पिछले कई दिनों से प्रदेश में मानसून सक्रिय बना हुआ है। कहीं बादल फटने की घटनाएं हो रही हैं तो कहीं नदियां उफान पर हैं। कई जिलों में भूस्खलन से मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं और जानमाल की हानि भी सामने आई है। गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक के इलाकों में लोगों को सड़क बंद होने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। कई गांवों तक राहत सामग्री पहुंचाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार हो रही बारिश के चलते पर्वतीय ढलानों में दरारें बढ़ रही हैं, जिससे भूस्खलन का खतरा और ज्यादा बढ़ गया है। वहीं नदियों के जलस्तर में लगातार वृद्धि होने से निचले इलाकों के लोग भी दहशत में हैं।
मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भी भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। ऐसे में प्रशासन अलर्ट मोड पर है और राहत–बचाव टीमें तैनात की गई हैं। इसके बावजूद जनता को अपील की गई है कि वे अनावश्यक यात्रा से बचें और नदी-नालों के पास जाने से परहेज करें।
उत्तराखंड में आपदा का यह दौर प्रदेश की नाजुक भौगोलिक स्थिति और लगातार बदलते मौसम की मार को एक बार फिर उजागर करता है। फिलहाल राहत की उम्मीद तभी है, जब बारिश की रफ्तार थमे और सड़क मार्गों को फिर से सुचारु करने का काम पूरा हो पाए।