
देहरादून: दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से बुधवार शाम संगीत और इसे रचने वाले लोगों पर केंद्रित तीन फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। यह फिल्में 26 मिनट से 52 मिनट की अवधि की थी।
अंजलि मोंटेइरो और केपी जयशंकर निर्देशित पहला वृत्तचित्र ’सो हेडन सो हॉडन’ भारत और पाकिस्तान को अलग करने वाले गुजरात के कच्छ के महान रण के किनारे रहने वाले देहाती मुस्लिम समुदायों के संगीत और रोजमर्रा के जीवन की यात्रा का बेहतरीन चित्रण था। वहीं, पंकज बुटालिया निर्देशित ’मैश अप’ फिल्म में शैल और नदीम दो युवा किरदार उभरते हैं। ये दोनों नई दिल्ली के निज़ामुद्दीन की बस्ती में रहते हैं। दोनों गरीब परिवारों से हैं, वे अपने संगीत के माध्यम से, रूढ़िवादिता से बाहर निकलने का सपना देखते हैं। वे ’पेनफुल रॉकस्टार’ नाम से एक संगीत समूह बनाते हैं, जो प्यार और टूटते दिल के गीत गाते हैं। यह फिल्म उनके सपने को प्रदर्शित करती है।
आखिर में दिखायी गई ’ओरमाजीविकल (मेमोरी बीइंग्स)’ एक प्रभाववादी फिल्म है, जो उत्तरी केरल के कोझिकोड और उसके साधारण शहरवासियों के संगीत में आध्यात्मिक विसर्जन की तस्वीर पेश करती है। एक चिंतनशील निबंध जो एक संगीत संस्कृति को दर्शाता है जो महानगरीय है, इसमें स्थानीय और वैश्विक प्रभाव मजबूत हैं, यह शहर और उसके लोगों के संगीत और यादों की खोज करता है।
कार्यक्रम के आरम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने सभी लोगों का स्वागत किया। पीएसबीटी के सहयोग से यह फिल्में निकोलस हाफलैंड की ओर से दिखाई गई। इस अवसर पर नूतन डिमरी गैरोला, अरुण कुमार असफल, देवेंद्र कांडपाल, सुंदर बिष्ट,बिजू नेगी,मनोज कुमार, डॉ. लालता प्रसाद, मेघा विलसन, शैलेन्द्र नौटियाल, हिमांशु नौटियाल, इरा चौहान आदि मौजूद थे।