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अभ्यर्थियों ने की परीक्षा रद करने की मांग

- देहरादून में पेपर लीक मामले में न्यायमूर्ति (रि) यूसी ध्यानी की अध्यक्षता में गठित एकल सदस्यीय जांच आयोग के सामने सुनवाई,अभ्यर्थियों ने रखे अपने पक्ष

देहरादून: उत्तराखंड में यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले की जांच रिटायर्ड न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की अध्यक्षता में देहरादून में आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम में कई अभ्यर्थियों ने 21 सितंबर को हुए यूकेएसएसएसपी पेपर को निरस्त करने की मांग की।

नैनीताल हाईकोर्ट से रिटायर्ड न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की अध्यक्षता में गठित एकल सदस्यीय जांच आयोग के सामने यूकेएसएससएसी स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले की सुनवाई की जा रही है। हल्द्वानी और रुद्रपुर के बाद जांच आयोग की टीम देहरादून पहुंची, जहां अभ्यर्थियों और कोचिंग सेंटर संचालकों से संवाद कर उनके सुझाव एवं शिकायतें सुनीं। आयोग का कहना है कि हमारा प्रयास है कि अपनी रिपोर्ट जल्द से जल्द तैयार कर सरकार को सौंपे। इसके लिए जल्द ही अन्य जिलों में भी जन सुनवाई की जाएगी।
दरअसल, 21 सितंबर 2025 को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) स्नातक स्तरीय परीक्षा के दौरान पेपर लीक का प्रकरण सामने आया था, जिसकी संवेदनशीलता को देखते हुए राज्य सरकार ने 27 सितंबर को हाईकोर्ट के रिटायर्ड न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की अध्यक्षता में एकल सदस्य आयोग का गठन किया है। इस आयोग का कार्य क्षेत्र पूरा उत्तराखंड है। ऐसे में आयोग गठन के बाद ही सभी जिलों में जनसंवाद किया जा रहा है।
जनसंवाद में कई अभ्यर्थी और अभिभावकों का प्रश्न है कि यह पेपर लीक क्यों हुआ है? इसके संबंध में कई अभ्यर्थियों ने साक्ष्य भी दिए हैं, जो कि जांच का विषय है। इस जनसंवाद में कोचिंग सेंटर, अभ्यर्थी और अभिभावकों से विचार लिया जा रहा है। अगर किसी के पास साक्ष्य है तो वो दे सकते हैं। साथ ही आयोग ने एक ईमेल आईडी भी बनाई है, जिसमें हल्द्वानी और रुद्रपुर के अभ्यर्थियों ने कुछ दस्तावेज भेजे हैं।
पेपर लीक मामले की चल रही एसआईटी जांच: देहरादून एसपी देहात जया बलूनी के नेतृत्व में पेपर लीक मामले की एसआईटी यानी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम जांच चल रही है, जबकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सीबीआई जांच की संस्तुति दे चुके हैं। सीबीआई संस्तुति के आश्वासन के बाद ही युवाओं का धरना स्थगित हुआ था। फिलहाल, पेपर लीक मामले की जांच हर तरफ से हो रही है।
वहीं, जनसंवाद के दौरान ज्यादातर बच्चों ने परीक्षा रद्द करने की बात कही है. साथ ही एक महीने के भीतर दोबारा परीक्षा कराने की मांग की है. जिसको जांच आयोग ने नोट कर लिया है. इसके अलावा अभ्यर्थियों ने मांग उठाई है कि आयोग में जो अधिकारी और कर्मचारी पिछले चार से पांच साल से जमे हुए हैं, उनको भी बर्खास्त किया जाए. परीक्षा में जो आउट ऑफ सिलेबस प्रश्न आ रहे हैं, उस पर ध्यान दिया जाए। चमोली से आए अभ्यर्थी पंकज तिवारी ने कहा कि हर बार पटवारी परीक्षा में अनियमितताएं हो रही हैं। हमने आयोग के सामने विचार रखा है कि पेपर हॉल से लेकर आयोग तक पहुंचने में गड़बड़ी हो रही है। आखिर ये गड़बड़ियां क्यों हो रही है? साथ ही ओएमआर शीट में भी कई खामियां हैं. उसके निवारण को लेकर आयोग के सामने अपना पक्ष रखा है। इसके अलावा नकल माफियाओं पर कार्रवाई की मांग की है।
अभ्यर्थियों ने 21 सितंबर को हुई परीक्षा को रद्द करने की उठाई मांग: एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन होने के बाद जनसंवाद के दौरान ज्यादातर अभ्यर्थियों ने परीक्षा को रद्द करने की बात कह रहे हैं, लेकिन अब आयोग सभी जिलों में जनसंवाद करने के बाद ही अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगा। उसके बाद राज्य सरकार ही निर्णय लेगी कि परीक्षा रद होगी या नहीं?
बता दें कि बीती 21 सितंबर 2025 रविवार को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने स्नातक स्तरीय पदों के लिए लिखित परीक्षा आयोजित कराई थी, लेकिन परीक्षा शुरू होने के 35 मिनट के भीतर ही प्रश्न पत्र के फोटो सामने आए गए। ऐसे में परीक्षा के बीच ही प्रश्न पत्र आउट होने पर आयोग में हड़कंप मच गया।

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