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चारधाम यात्रा: भीड़ प्रबंधन को सरकार के पास योजना नहीं

-भार वहन क्षमता पर आईआईएम रोहतक की रिपोर्ट से मंत्री ही अंजान, पिछले पांच वर्षों में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या हजार प्रति वर्ष, इस वर्ष 2025 की पहली तिमाही में ही २७५ लोग गंवा चुके जान: धस्माना

देहरादून: उत्तराखंड की धामी सरकार आगामी चार धाम यात्रा पर भ्रम की स्थिति में सरकार एक तरफ यात्रियों का ऑन लाइन व ऑफ लाइन पंजीकरण की बात कर रही है दूसरी तरफ सरकार कह रही है कि जितने भी यात्री आएंगे चाहे वे पंजीकृत हों या गैर पंजीकृत सभी को यात्रा की अनुमति दी जाएगी, जिससे यात्रा में भरी अव्यवस्था फैलने की आशंका हो गई है।
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन व प्रशासन सूर्यकांत धस्माना ने रविवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में यह बात कही। धस्माना ने कहा कि यात्रा शुरू होने में मात्र दस दिन रह गए हैं, लेकिन सरकार के पास केवल बड़े बड़े दावों का पिटारा है लेकिन यात्रा को निर्विघ्न पूरी करवाने की ठोस योजना व व्यवस्था का अभाव है इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि सरकार के पर्यटन व तीर्थाटन मंत्री को आईआईएम रोहतक की उस रिपोर्ट की जानकारी हो नहीं है, जिसमें यात्रा वाले शहरों की भार वहन क्षमता की जानकारी ही नहीं है जबकि राज्य की मुख्य सचिव इस रिपोर्ट के आधार पर यात्रा से संबोधित अधिकारियों व जिलाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर चुके हैं।
धस्माना ने कहा कि सरकार के मंत्री के द्वारा असीमित यात्रियों को निमंत्रण देने से यात्रा में भीड़ प्रबंधन फेल होने की संभावना है। जैसा पिछले वर्ष देखा गया जब भीड़ ने अनेक स्थानों पर पुलिस के बैरिकेडिंग उखाड़ कर फेंक दिए। धस्माना ने कहा कि चार धाम यात्रा करोड़ों सनातनियों की आस्था विश्वाश के साथ साथ उत्तराखंड की लाइफलाइन है, जिससे लाखों लोगों की रोटी रोज़ी जुड़ी है और यात्रा की सफलता व निर्विघ्न संपन्न होना आवश्यक है। धस्माना ने कहा कि यात्रा में आने वाले यात्रियों की सुरक्षा , स्वास्थ्य, रहने-भोजन व सबसे महत्वपूर्ण जिस उद्देश्य से यात्री आते हैं, दर्शन की उचित व्यवस्था सरकार की जिम्मेदारी है। धस्माना ने कहा कि पिछले आठ वर्षों का यह अनुभव रहा है कि सरकार दावे बड़े-बड़े करती है किन्तु व्यवस्थाओं में हमेशा फिसड्डी साबित होती है और उसका सबसे बड़ा उदाहरण पिछले वर्ष केदार घाटी में 30 जुलाई को आई आपदा है, जिससे पूरी यात्रा प्रभावित हुई और यात्रा समाप्त होने तक सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो पाई। धस्माना ने कहा कि यमुनोत्री व बद्रीनाथ रूट में भी पिछले वर्ष यात्रा बाधित रही।
धस्माना ने कहा कि सड़क सुरक्षा के मामले में भी सरकार की तैयारी लचर है और पिछले पांच वर्षों में औसतन हर साल सड़क दुर्घटनाओं में एक हजार लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई और डेढ़ हजार लोग हर साल घायल हुए। धस्माना ने कहा कि इस वर्ष पहली तिमाही खत्म होने से पहले ही सड़क दुर्घटनाओं में राज्य में 275 लोग मौत के मुंह में समा गए हैं।
धस्माना ने कहा कि राज्य की सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए राज्य में आने वाले चार धाम यात्रियों की सुरक्षा स्वास्थ्य रहने भोजन व दर्शन की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए और हर हाल में यात्रा रूटों व शहरों की भार वहन क्षमता का पालन सख्ती से करना चाहिए। प्रेस वार्ता में प्रदेश प्रवक्ता डॉ. प्रतिमा सिंह, प्रदेश अध्यक्ष के मीडिया सलाहकार सरदार अमरजीत सिंह व श्रम प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश कौशल उपस्थित रहे।

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