अतुल के बहाने फिर सुलगे उत्तराखंड के मुद्दे
- दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र में 'विधाएं अनेक और लेखक एक' कार्यक्रम आयोजित, साहित्य मेरे लिए शौक नहीं जीवन है: डॉ. अतुल शर्मा

देहरादून: जनकवि डॉ. अतुल शर्मा की लेखन यात्रा पर मंगलवार को दून लाईब्रेरी में सार्थक संवाद हुआ। विषय था ‘विधाएं अनेक और लेखक एक’। शिक्षाविद् और पत्रकार डॉ. सुशील उपाध्याय और बिपिन बनियाल ने जहां अतुल से उनकी तमाम विधाओं को लेकर सवाल किए, वहीं इस बहाने उत्तराखंड के मुद्दे फिर सुलग उठे। सवाल यह भी आया कि जिन मुद्दों को लेकर आंदोलन हुआ था, आज राज्य गठन के 24 साल बाद भी वह समस्याएं जस की तस हैं। अतुल ने इस दौरान स्पष्ट किया कि साहित्य उनके लिए शौक़ नहीं जीवन है। जिंदा होने का सबूत है। वह मुद्दों की अनदेखी नहीं कर सकते। हालांकि, यह सवाल अपनी जगह बना रहा कि राज्य की मौजूदा दशा क्या है और यह किस दिशा में जाएगा?
लेखक व जनकवि डॉ. अतुल शर्मा ने उत्तराखंड आंदोलन के दिनों की यादें ताजा करते हुए कहा कि किस तरह गीतों की रचना हुई और वह लोगों की जुबान पर चढ़कर जनगीत बन गए। ‘लड़ के लेंगे, भिड़ के लेंगे छीन के लेंगे उत्तराखंड’ तो आंदोलनकारियों का प्रमुख गीत बन गया था। उन्होंने बताया कि नदी बचाओ आंदोलन और नाटकों के लिए भी उन्होंने गीत लिखे, जो जलगीत और रंगगीत के जरिए घर-घर पहुंचे। उन्होंने आगामी लेखन पर चर्चा करते हुए बताया कि उनका बचपन देहरादून में बीता। जो दून बचपन में उन्होंने देखा, जब दीवारें नहीं होती थी, तांगे चलते थे। हर सड़क के पास से नदी गुजरती थी। वो कैसे दिन थे। इन सबको समेटते हुए वह आत्मकथा लिख रहे हैं। उन्होंने अपने रचना संसार के बारे में बात करते हुए कहा कि वह पात्रों को जीते हैं और पाठक तभी उनसे जुड़ा महसूस करते हैं। डॉ. अतुल शर्मा के पुराने पड़ोसी और दोस्त भी संवाद में शामिल हुए। संवाद की औपचारिक शुरुआत से पहले डॉ. अतुल शर्मा की बहन रंजना शर्मा ने उनकी चुनी हुई कविताओं का पाठ किया, जिसमें ‘दोस्तों मेरी कविता को अपना ही घर समझो’ भी शामिल थी।
इससे पहले, दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी ने बताया कि डॉ. अतुल शर्मा की विभिन्न विधाओं में अब तक 40 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। संवाद से पहले तीन ऑडियो-वीडियो भी प्रसारित किए गए, जिनमें डॉ. अतुल शर्मा के विषय में राजीव लोचन साह, प्रोफेसर डीआर पुरोहित व सुषमा मिश्रा के संस्मरण शामिल थे। इस अवसर पर रविन्द्र जुगरान, डॉ.वीके डोभाल, रेखा शर्मा, सुंदर सिंह बिष्ट, डॉली डबराल, विभूति भूषण भट्ट, शिव मोहन सिंह, प्रदीप डबराल, दर्द गढ़वाली, अम्मार नक़वी, दिनेश शर्मा, अजय राणा, सुरेन्द्र कुमार, मनमोहन चड्ढा, अभिनंदा, दया सागर अरोड़ा, शिवशंकर कुशवाहा, विजय भट्ट, सुरेंद्र सजवाण, रेखा धस्माना, कल्पना बहुगुणा, नरेश डोबरियाल, जगमोहन सिंह नेगी, प्रदीप कुकरेती आदि मौजूद थे।
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डॉ. अतुल शर्मा का रचना संसार
डॉ. अतुल शर्मा ने कविता संग्रह थकती नहीं कविता, बिना दरवाजे का समय, नदी एक लम्बी कविता, जनगीतों का वातावरण, सींचे नींव आदि के साथ उपन्यास जवाबदावा, दृश्य-अदृश्य, नानू की कहानी सहित दो चर्चित पुस्तक सीरीज वाह रे बचपन के सात खंड प्रकाशित किए, जिनमें अस्सी लोगों के बचपन के संस्मरण प्रकाशित हैं। साथ ही महान स्वतंत्रता सेनानी एवं राष्ट्रीय कवि श्रीराम शर्मा प्रेम के समग्र साहित्य पर पांच ग्रंथ सम्पादित किये। जिनका सह सम्पादन रेखा शर्मा व रंजना शर्मा ने किया है ।