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आपातकाल में सबसे मुश्किल दौर से गुजरा था लोकतंत्र

- कुमाऊं विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह में पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

देहरादून/नैनीताल: कुमाऊं विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह में पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आपातकाल की बरसी को याद करते हुए बेबाक टिप्पणी की। उन्होंने इस टिप्पणी को अपने एक्स प्लेटफार्म पर भी शेयर किया है।
उन्होंने कहा कि 50 साल पहले आज ही के दिन, दुनिया का सबसे पुराना, सबसे बड़ा और अब सबसे जीवंत लोकतंत्र एक मुश्किल दौर से गुजरा, अप्रत्याशित प्रतिकूल हवाएं, हमारे लोकतंत्र को नष्ट करने के उद्देश्य से भूकंप से कम कुछ नहीं। यह आपातकाल लागू करने का समय था।
जब रात अंधेरी थी, तो मंत्रिमंडल को दरकिनार कर दिया गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री, एक प्रतिकूल उच्च न्यायालय के आदेश का सामना करते हुए, पूरे देश की अनदेखी करते हुए व्यक्तिगत लाभ के लिए झुक गए। तत्कालीन राष्ट्रपति ने संवैधानिकता को रौंद दिया और आपातकाल की घोषणा पर हस्ताक्षर किए।
इसके बाद हमारे लोकतंत्र के लिए 21 महीने का अशांत दौर आया। हमें अपने लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला दौर देखने का मौका मिला। उपराष्ट्रपति ने 45 मिनट के संबोधन ने देश के समक्ष चुनौतियों का भी उल्लेख किया।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत, कुलपति प्रो दीवान सिंह रावत, राज्यपाल गुरमीत सिंह, विधायक सरिता आर्य व राम सिंह कैड़ा, पूर्व सांसद महेंद्र पाल, कमिश्नर दीपक रावत, आईजी रिद्धिम अग्रवाल, डीएम वंदना, एसएसपी पीएन मीणा सहित विवि के प्राध्यापक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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