
देहरादून: उत्तराखंड में भारी वर्षा से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चला है। भूस्खलन के चलते सड़कें बंद हो जा रही हैं, जिससे चारधाम यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। नदी-नाले भी उफान पर हैं, जिससे नदी किनारे रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ रही है। रुद्रप्रयाम में अस्थाई पुल बहने से मध्यमेश्वर धाम में लगभग 50 तीर्थ यात्री फंस गए हैं। इन तीर्थयात्रियों का हेलीकाप्टर की मदद से रेस्क्यू किया गया। इस बीच, प्रशासन के लिए भी वर्षाकाल चुनौती बना हुआ है।
गुरुवार रात लगातार भारी वर्षा होने के कारण यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से पानी जानकीचट्टी में बनी पार्किंग तक जा पहुंचा। पार्किंग में खड़ी गाड़ियाँ पानी और मलबे में आधी- आधी डूब गई। पार्किंग में सो रहे मज़दूरों ने किसी तरह भाग कर जान बचाई। प्रशासन ने रात में ही यमुना नदी के किनारे हनुमान चट्टी, स्याना चट्टी और खरादी आदि स्थानों पर माइक से अनाउंसमेंट कर लोगों को सतर्क किया। बड़कोट-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग झझरगाड के पास यातायात बंद हो गया था। अब उसे खोल दिया गया है। जानकीचट्टी क्षेत्र में रात्रि में हुई वर्षा से जानकीचट्टी में तीन खच्चर बहे व एक मोटरसाइकिल और जानकीचट्टी पार्किंग के नीचे का कटाव एवं शुभम प्लेस होटल के आगे रोड के दीवार क्षतिग्रस्त हो गई।
यमुनोत्री धाम में पुजारी महासभा के यमुना नदी के किनारे के कमरे क्षतिग्रस्त हो गए। साथ ही स्ट्रीट लाइट के खम्भे भी क्षतिग्रस्त हुए और मंदिर का जनरेटर भी इस पानी के बहाव में बह गया। यमुनोत्री में राम मंदिर पर स्थित पंजीकरण सत्यापन केंद्र के यमुना नदी के तीव्र बहाव के कारण पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया।
इसी तरह, रुद्रप्रयाग जिले में अस्थाई पुल बहने से मध्यमेश्वर धाम में लगभग 50 तीर्थ यात्री फंस गए हैं। द्वितीय केदार मद्महेश्वर यात्रा के आधार शिविर बनातोली में मोरखंडा नदी पर बना लकड़ी का अस्थायी पुल नदी की तेज धाराओं में समा गया है। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के अनुसार मध्यमेश्वर धाम में लगभग 50 तीर्थ यात्रियों सहित स्थानीय व्यापारी फंस गए हैं। मद्महेश्वर घाटी में लगातार हो रही मूसलधार बारिश से मोरखंडा नदी के जल स्तर में निरन्तर वृद्धि देखने को मिल रही है।