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‘निज सेवाओं में उत्कृष्ट हूं , हां, मैं एक फार्मासिस्ट हूं ‘

प्रसिद्ध शायर धर्मी की विश्व फार्मासिस्ट दिवस पर कविता

निज सेवाओं में उत्कृष्ट हूं ,
हां, मैं एक फार्मासिस्ट हूं ।

औषधियों का ज्ञान मुझ में ,
तर्क और विज्ञान मुझ में ,
स्वास्थ्य की रक्षा में तत्पर ,
आरोग्य के लिए आकृष्ट हूं ।

हां, मैं एक फार्मासिस्ट हूं ।

चिकित्सालय का आधार हूं
मैं औषधियों का भंडार हूं ,
व्याधियों का शमन कर्ता ,
बहुमूल्य हूं अति विशिष्ट हूं ।

हां, मैं एक फार्मासिस्ट हूं ।

चिकित्सा का एक पाद हूं ,
स्वतंत्र हूं मैं निर्विवाद हूं ,
सबके हित में खड़ा हुआ ,
अदृश्य नहीं मैं दृष्ट हूं ।

हां, मैं एक फार्मासिस्ट हूं ।

निज क्षमता पर खड़ा हूं मैं,
रोग से हर पल लड़ा हूं मैं ,
भैषज्य की कल्पना में डूबा ,
मैं ज्ञान का परिशिष्ट हूं ।

हां, मैं एक फार्मासिस्ट हूं ।

#विश्व_फार्मासिस्ट_दिवस
मूल रचना-धर्मेंद्र उनियाल’धर्मी’
चीफ फार्मासिस्ट

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