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गांधी शताब्दी अस्पताल रामभरोसे, पूछताछ को भटकते हैं लोग 

-बच्चों के लिए गहन चिकित्सा इकाई खोल दी, पर नहीं है ईसीजी तक की सुविधा, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के बेहतर चिकित्सा सुविधा के दावे बेमानी 

देहरादून: राजधानी देहरादून का सबसे बड़ा आंखों का सरकारी अस्पताल गांधी शताब्दी अस्पताल रामभरोसे है। हाल यह है कि यहां एक पूछताछ काउंटर तक की व्यवस्था नहीं है। डिजिटल क्रांति के इस दौर में एक टेलीफोन तक गांधी अस्पताल में नहीं है कि लोग डॉक्टरों की उपलब्धता के बारे में जानकारी ले सकें।

शुक्रवार को कई लोग नेत्र विशेषज्ञ से आंखों की जांच कराने आए थे, लेकिन कमरे में ताला लगा होने के कारण उन्हें बैरंग लौटना पड़ा। अधिकांश लोगों को यह पता ही नहीं था कि आज उनकी ओपीडी नहीं होती है। हाल यह था कि कहीं पर अस्पताल प्रबंधन की ओर से सूचना भी नहीं अंकित की गई थी। पंजीकरण काउंटर पर इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम पर्चियां बनाते हैं और कोई पूछताछ काउंटर यहां नहीं हैं। पूछताछ के लिए फोन नंबर भी वह नहीं बता सके।

    उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने हाल ही में गांधी शताब्दी अस्पताल में बच्चों के लिए गहन चिकित्सा कक्ष का उदघाटन किया था, लेकिन हैरानी की बात यह है कि यहां ईसीजी की मामूली सुविधा तक उपलब्ध नहीं है। मरीजों को ईसीजी के लिए या तो कोरोनेशन अस्पताल जाना पड़ता है या फिर निजी अस्पतालों की शरण लेनी पड़ती है।

 

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