साहित्य

दर्द गढ़वाली की ग़ज़ल

एक नहीं सौ बार करें, मिलजुलकर सब प्यार करें

ग़ज़ल

एक नहीं सौ बार करें।
जी भर के सब प्यार करें।।

सरहद सब मिस्मार करें।
दुनिया का विस्तार करें।।

क्यों उससे तकरार करें।
खुद को क्यों बीमार करें।।

दोस्त भले ही कैसा हो।
दुश्मन तो दमदार करें।।

दैर-हरम के चक्कर में।
क्यों जीना दुश्वार करें।।

दूर रहें सब नफरत से।
इतना तो फनकार करें।।

बीच भंवर में कश्ती है।
लहरों को पतवार करें।।

घर का हर कोना महके।
घर को हम गुलजार करें।।

क्यों झगड़ें हम आपस में।
सब आपस में प्यार करें।।

घर को घर ही रहने दें।
घर को मत अखबार करें।।

खुद को तो समझें पहले।
खुद को तो बेदार करें।।

दर्द तुम्हें दुनिया जाने।
यूं अपना किरदार करें।।

दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094

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