उत्तराखंडमुशायरा/कवि सम्मेलनसाहित्य

दर्द गढ़वाली की ग़ज़ल

ग़ज़ल

बज़्म में वो झिलमिलाती रोशनी अच्छी लगी।
आपसे मिलकर हमें ये ज़िंदगी अच्छी लगी।।

ज़िंदगी भर हम तरसते रह गए जिसके लिए।
वक़्ते-रुखसत मौत जब हंस के मिली अच्छी लगी।।

जाम तो आया नहीं लेकिन नज़र तो मिल गई।
आंख साक़ी की हमें वो मदभरी अच्छी लगी।।

देर तक कानों में गूंजी राहतें मुझको मिली।
मख़मली आवाज प्यारी यार की अच्छी लगी।।

एक कोने में थे बैठे कौन हमको पूछता।
‘दर्द’ उनसे जब नज़र अपनी मिली अच्छी लगी।।

दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094

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