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आपदा प्रबंधन विभाग सतर्क होता तो नहीं जाती जान

आईआईआरएस ने एक साल पहले ही झील बनने की दे दी थी चेतावनी

देहरादून: वरिष्ठ भाजपा नेता रविन्द्र जुगरान ने उत्तरकाशी जिले के धराली, सुखीटॉप और हर्षिल में आयी आपदा और अत्यधिक हुई जान माल की हानि पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए आपदा प्रबंधन विभाग पर घोर लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना तरीके से कार्य करने का आरोप लगाया है, जुगरान ने यह भी अवगत करवाया है कि आपदा प्रबंधन विभाग अब घोटाला प्रबंधन विभाग बन चुका है इसलिए वह बहुत जल्द आपदा प्रबंधन विभाग में हुए करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार और घोटालों के विरुद्ध उनके द्वारा अब तक की गई समस्त शिकायतों जिन पर आज तक आपदा प्रबंधन विभाग ने कोई कार्यवाही नहीं की है की एक विस्तृत रिपोर्ट बनाकर मुख्यमंत्री को प्रस्तुत करने वाले हैं।

चार दिन पहले विभिन्न समाचार पत्रों में एक खबर प्रकाशित हुई थी कि इसरो के संस्थान आई.आई.आर.एस. ने एक वर्ष पूर्व ही उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को रिपोर्ट प्रेषित करके अवगत करवा दिया था कि धराली और हर्षिल के ऊपरी क्षेत्र में कृत्रिम झीलों का निर्माण हो रखा है जो कभी भी एक भयानक आपदा का रूप ले सकती हैं। लेकिन आश्चर्य की बात है कि आपदा प्रबंधन विभाग ने एक अधिकृत बयान जारी करके अनभिज्ञता जताते हुये आई.आई.आर.एस. के इस बयान का खंडन करते हुए कहा है कि आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को इस प्रकार की किसी भी चेतावनी की रिपोर्ट आई.आई.आर.एस. के द्वारा प्रदान नहीं की गई है।

आई.आई.आर.एस. इसरो का एक प्रतिष्ठित संस्थान है इसलिये आई.आई.आर.एस. के माध्यम से विभिन्न समाचार पत्रों में छपी इस खबर पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता है। यदि आई.आई.आर.एस. के द्वारा कृत्रिम झीलों के निर्माण होने की रिपोर्ट उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को 1 वर्ष पहले भेजी गयी थी तो उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने रिपोर्ट पर त्वरित कार्यवाही करते हुए स्थलीय निरीक्षण क्यों नहीं करवाया। ऐसा लगता है कि आपदा प्रबंधन विभाग ने उत्तराखंड में पूर्व में हुई कई आपदाओं जिसमें उत्तरकाशी में हुई आपदाओं और केदारनाथ जैसी भयावह आपदा से अब तक कोई सबक नहीं सीखा है।

आपदा प्रबंधन विभाग ने जो लैंडस्लाइड मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर बनाया है क्या वह केवल दिखावे के लिए बनाया है, आपदा प्रबंधन विभाग और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से यह स्पष्टीकरण लिया जाये कि आई.आई.आर.एस. की रिपोर्ट पर तत्काल भूगर्भीय सर्वेक्षण क्यों नहीं करवाया गया। धराली और हर्षिल में जो भी जान माल का नुकसान हुआ है वह आपदा प्रबंधन विभाग और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की निष्क्रियता और लापरवाही के कारण हुआ है। यदि आपदा प्रबंधन प्राधिकरण आई.आई.आर.एस. की रिपोर्ट का संज्ञान लेकर त्वरित कार्यवाही करते तो काफी हद तक इस आपदा से होने वाले नुकसान को रोका जा सकता था।

वर्ष 2019 में अजय गौतम ने माननीय उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी कि गंगोत्री ग्लेशियर और उसके आसपास के क्षेत्र में कृत्रिम झीलों का निर्माण हो रहा है जिससे भविष्य में कोई बड़ी आपदा घटित हो सकती है। माननीय उच्च न्यायालय ने आपदा प्रबंधन विभाग को समय-समय पर गंगोत्री ग्लेशियर और उसके समीपवर्ती क्षेत्र का निरंतर सर्वेक्षण करने और रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे, जिसका अनुपालन आपदा प्रबंधन विभाग के द्वारा नहीं किया जा रहा है।

आपदा प्रबंधन विभाग के द्वारा अजय गौतम की याचिका में माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा पारित आदेश की अवमानना किए जाने के कारण और आई.आई.आर.एस. की चेतावनी को नजरअंदाज किए जाने के कारण ही आज इतनी बड़ी जान माल की हानि धराली और हर्षिल में हुई है। आई.आई.आर.एस. की चेतावनी रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद इस क्षेत्र का फील्ड सर्वेक्षण करवा कर जी.आई.एस मैपिंग कराई जानी चाहिए थी, पुरानी और नई सैटेलाइट इमेज से इस क्षेत्र का कंपेरिजन डाटा संकलित किया जाना चाहिए था। लेकिन यह सब होता भी कैसे क्योंकि आपदा प्रबंधन विभाग की जी.आई.एस लैब में पिछले 5 वर्षों से जी.आई.एस का कार्य करने वाले अनुभवी कार्मिकों के न होने से उत्तराखंड का जी.आई.एस का डाटा अपडेट ही नहीं किया गया है, कंपेरिजन करने के लिये डाटा अपडेट भी तो होना चाहिए।

पिछले कुछ वर्षों से आपदा प्रबंधन विभाग में हुए करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार और घोटालों के कारण आपदा प्रबंधन विभाग आपदा प्रबंधन के कार्य तो नहीं कर रहा है लेकिन घोटाला प्रबंधन के कार्यों में पूरी तरह संलिप्त है।

जुगरान ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि आई.आई.आर.एस. के द्वारा एक वर्ष पूर्व दी गई चेतावनी को नजरअंदाज करने वाले आपदा प्रबंधन विभाग और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सभी दोषी अधिकारियों को तत्काल चिन्हित किया जाए और उनकी लापरवाही और निष्क्रियता के कारण जो जान माल की हानि राज्य को हुई है उसके लिए इन सभी पर दंडात्मक कार्यवाही करते हुऐ इनके विरुद्ध तत्काल मुकदमे दर्ज करवाये जाये।

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