बच्चों में पढ़ने की संस्कृति पैदा करना जरूरी: खंडूड़ी
- डॉ. उषा झा की नई पुस्तक 'छंद प्रभा' का भव्य लोकार्पण, मुख्य अतिथि उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष डॉ. ऋतु भूषण खंडूड़ी और कुलपति डॉ. सुरेखा डंगवाल, पूर्व कुलपति डॉ. सुधा रानी पांडे, असीम शुक्ल, डॉ. रामविनय सिंह ने किया पुस्तक का लोकार्पण, श्रीकांत श्री ने किया कार्यक्रम का प्रभावी संचालन

देहरादून : राजधानी देहरादून में रविवार को राजपुर रोड स्थित एक होटल में भव्य समारोह में कवयित्री डॉ. उषा झा रेणु की छंद आधारित पुस्तक छंद प्रभा का लोकार्पण किया गया। मुख्य अतिथि उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी, कार्यक्रम अध्यक्ष दून विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. सुरेखा डंगवाल, वरिष्ठ साहित्यकार असीम शुक्ल और डॉ. रामविनय सिंह ने पुस्तक का लोकार्पण किया। देश के जाने-माने कवि श्रीकांत श्री और डॉ. एसके झा ने कार्यक्रम का प्रभावी संचालन किया।
हिंदी साहित्य समिति एवं राष्ट्रीय कवि संगम की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी ने अपने वक्तव्य में बच्चों में पढ़ने की संस्कृति पैदा करने पर जोर दिया। कुलपति डॉ. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि हिंदी साहित्य पश्चिमी साहित्य की तुलना में बहुत समृद्ध है।
डीएवी पीजी कॉलेज में संस्कृत के प्रोफेसर डॉ. रामविनय सिंह और पूर्व कुलपति डॉ. सुधा रानी पांडे ने अपने संबोधन में विभिन्न छंदों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कवयित्री उषा झा की कृति को उत्कृष्ट बताया। नवगीत के पुरोधा असीम शुक्ल ने छंद प्रभा को संग्रहणीय कृति बताया। शिक्षाविद डॉ. सविता मोहन ने कहा कि साहित्य जगत को छंद प्रभा के रूप में उत्कृष्ट पुस्तक मिली है।
इससे पहले कवियत्री डॉ. उषा झा ने कहा कि यह पुस्तक सनातन छंदों और काव्य परंपरा को समर्पित है। इसमें पर्यावरण, मातृत्व, बेटियों की परवरिश जैसे संवेदनशील विषयों पर नए-नए छंदों के माध्यम से अभिव्यक्ति दी गई है। उन्होंने कहा कि साहित्य उन्हें अपने पिता से विरासत में मिला है, और अब वह इस परंपरा को अपनी रचनाओं के ज़रिए आगे बढ़ा रही हैं। ‘छंद प्रभा’ से पहले भी उन्होंने कई साहित्यिक कृतियाँ लिखी हैं। उन्होंने अपनी कुछ रचनाएं भी सुनाई।
कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर की। महिमा श्री और मणि अग्रवाल ने उषा झा की नई कृति छंद प्रभा से रचनाएं सुनाई। ज्योति झा ने सरस्वती वंदना की।
इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार केडी शर्मा, कमला पंत, डॉली डबराल, शिवमोहन सिंह, अंबर खरबंदा, नीलमप्रभा वर्मा, माहेश्वरी कनेरी, नीता कुकरेती, हेमवती नंदन कुकरेती, सुहैला अहमद, सोमेश्वर पांडे, योगेश्वर गौड़, रजनीश त्रिवेदी, सुनील त्रिवेदी, भारती मिश्रा, रेखा जोशी, मुनिराम सकलानी, डॉ. सुनील कुमार झा, डॉ. रितु झा, राकेश चंद्र डंगवाल, डॉ. राकेश बलूनी, जसवीर सिंह हलधर, राकेश जैन, पवन शर्मा, प्रमोद भारती, शादाब मशहदी, दर्द गढ़वाली, क्षमा कौशिक, कविता बिष्ट, मोनिका मंतशा, दीपक अरोड़ा, सत्यप्रकाश शर्मा, सतेंद्र शर्मा, संजय प्रधान, कौशल्या अग्रवाल, अरूण भट्ट आदि मौजूद थे।