कविता को भीड़ तंत्र से बचाना जरूरी: जितेन ठाकुर
- हिंदी भवन में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. राकेश बलूनी की दो पुस्तकों 'प्रणाम योद्धा' और 'प्रथम गुप्तचर भू-मंडल का' का हुआ लोकार्पण, कोरोना काल में चिकित्सकों की भूमिका और उनके परिवार की स्थिति पर आधारित पुस्तक है 'प्रणाम योद्धा'

देहरादून: पेशे से चिकित्सक और प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. राकेश बलूनी की दो पुस्तकों ‘प्रणाम योद्धा’ और ‘प्रथम गुप्तचर भू-मंडल का’ का लोकार्पण किया गया। इस बहाने कविता पर भी सार्थक चर्चा की गई। साहित्यकार जितेन ठाकुर ने कहा कि मौजूदा समय में छद्म साहित्यकारों की भीड़ जमा होती जा रही है, जो साहित्य के लिए चिंता का विषय है। इस स्थिति से कविता को बचाना बहुत जरूरी है। उन्होंने अच्छे साहित्य को पुरस्कृत करने पर भी जोर दिया।
हिंदी साहित्य समिति और उत्तराखंड सतरुद्रा के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को हिंदी भवन में आयोजित लोकार्पण कार्यक्रम में कथाकार जितेन ठाकुर ने डॉ. बलूनी के उपन्यास ‘प्रथम योद्धा’ पर चर्चा करते हुए कहा कि रचनाकार ने अपने पेशे के साथ न्याय किया है। डॉ. बलूनी ने प्रथम योद्धा पुस्तक में न केवल कोरोना काल में देश-दुनिया में अकाल मौतों को लेकर मचे हाहाकार का वर्णन किया है, बल्कि चिकित्सकों और उनके परिवार के सामने आई विकट स्थिति को भी सामने रखा है। जितेन ठाकुर ने कविता की चर्चा करते हुए कहा कि मौजूदा समय में छंदयुक्त कविता पर छंदमुक्त कविताएं हावी होती जा रही हैं। इससे ऐसा लगता है कि एक दिन छंदयुक्त कविताएं गायब हो जाएंगी, जो नए रचनाकारों के लिए अच्छा नहीं है। पत्रकार एवं साहित्यकार असीम शुक्ल ने साहित्य जगत में आलोचना की पैरवी करते हुए कहा कि युग हमेशा रचनाकार का होता है। आलोचना उसे प्रासंगिक बना देती है।
मुख्य अतिथि निदेशक चिकित्सा शिक्षा प्रोफेसर डॉ. आशुतोष सयाना ने डॉ. राकेश बलूनी की पुस्तक के बहाने कोरोना काल के अपने अनुभव साझा किए और उस काल को चुनौतीपूर्ण बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिंदी साहित्य समिति के अध्यक्ष प्रो. डॉ. रामविनय सिंह ने खंड काव्य ‘प्रथम गुप्तचर भू-मंडल का’ के बहाने पुराण पर चर्चा की और बताया कि पुराण का मतलब प्राचीन विषयवस्तु को नए तरीके से पेश करना है, जिसमें डॉ. बलूनी सफल रहे हैं।
इससे पहले वरिष्ठ कवयित्री क्षमा कौशिक ने मां सरस्वती की वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत की। हिंदी साहित्य समिति के महामंत्री हेमवती नंदन कुकरेती ने अतिथियों का आभार जताया। वरिष्ठ शायर शादाब मशहदी ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार मुनेंद्र सकलानी, सविता मोहन, डॉ. विद्या सिंह, शिव मोहन सिंह, डॉली डबराल, सोमेश्वर पांडे, माहेश्वरी कनेरी, पुष्पलता ममगाईं, डॉ. सत्यानंद बडोनी, रजनीश त्रिवेदी, दर्द गढ़वाली, प्रो. उषा झा, गणेश उनियाल, नवीन उपाध्याय, शांति प्रकाश जिज्ञासु, संगीता शाह, कविता बिष्ट, रविन्द्र सेठ, नरेंद्र शर्मा आदि मौजूद थे।