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प्यार का पहला ख़त लिखने में वक्त तो लगता है 

इस ग़ज़ल के ख़ालिक मशहूर शायर हस्तीमल हस्ती ने कहा दुनिया को अलविदा 

मुंबई/देहरादून: देश-दुनिया में अपनी शायरी की खुशबू बिखेरने वाले मशहूर शायर हस्तीमल हस्ती अब नहीं रह। उन्होंने सोमवार 24 जून 2024 को इस फ़ानी दुनिया को अलविदा कह दिया। बहुत संजीदा और ख़ुशमिजाज शायर हस्तीमल हस्ती की एक ग़ज़ल ‘प्यार का पहला ख़त लिखने में वक्त तो लगता है’ जिसे जगजीत सिंह ने गाया था, इतना मशहूर हुई कि वह रातों-रात अदबी जगत में छा गए थे। हस्तीमल हस्ती का जन्म 11 मार्च 1946 को राजस्थान के राजसमंद जनपद में हुआ था।

  हस्तीमल हस्ती और जगजीत सिंह का एक किस्सा बहुत मशहूर है, जिसे मैं अपने पोर्टल में साझा कर रहा हूं। आप भी पढ़िए। बात उस दौर की है, जब जगजीत सिंह ने ग़ज़ल को महफिलों से निकालकर आम आदमी की ज़िन्दगी का हिस्सा बना दिया था। इससे पहले ग़ज़ल कुछ खास बौद्धिक और साधन संपन्न बिरादरी के लोगों का मनोरंजन बनकर रह गई थी। जगजीत सिंह की कोशिश रहती थी कि देशभर से अच्छे से अच्छे ग़ज़लकार की रचना को वह गाएं। तभी देश के कोने कोने की भावनाएं सामने आ पाएंगी। इसी विचार के साथ जगजीत सिंह ने अपने साथी कलाकार और मित्र शायर सुदर्शन फाकिर से कहा कि वह देशभर के अच्छे शायरों की चुनिंदा शायरी को लेकर आएं, जिससे कि अगली ग़ज़ल एल्बम की खूबसूरती में इज़ाफ़ा हो। सुदर्शन फाकिर ने जगजीत सिंह की बात मानते हुए ग़ज़ल एल्बम के लिए शायरी चुनने की प्रक्रिया शुरु कर दी।

इस सबसे बेख़बर, मुम्बई में एक दुकान थी, जो फिल्मी दुनिया में संघर्ष कर रहे शायरों, कलाकारों का ठिकाना बन गई थी। दुकान के मालिक हस्तीमल हस्ती खुद शायरी के शौक़ीन थे। वह ग़ज़ल लेखन में धीरे धीरे आगे बढ़ रहे थे। मगर कारोबार की भाग दौड़ के कारण, उन्हें यह फ़ुरसत नहीं थी कि वह फिल्मी दुनिया या कवि सम्मेलन में शामिल हो सकें। उनके कुछ दोस्त हिन्दी सिनेमा में गीतकार थे। इस कारण उनकी दुकान में अक्सर गीत, ग़ज़ल की बैठकें होती थीं, जिनमें फिल्मी गीतकार और संघर्ष कर रहे शायर शरीक होते थे। कलाकारों को चाय, शायरी का माहौल मिल जाता और इसी बहाने से हस्तीमल हस्ती कुछ पल शेर -ओ -सुखन की दुनिया में बिता लेते।

सुदर्शन फाकिर की तारीफ सुनकर हस्तीमल हस्ती भावुक हो गए। उनके पास अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं थे। सुदर्शन फाकिर ने हस्तीमल हस्ती से यह भी कहा कि जगजीत सिंह अपनी नई ग़ज़ल एल्बम के लिए अच्छी शायरी की तलाश में हैं और अच्छी शायरी चुनने की जिम्मेदारी जगजीत सिंह ने उन्हें सौंप रखी है। सुदर्शन फाकिर ने हस्तीमल हस्ती को यह भरोसा दिलाया कि वह जगजीत सिंह को उनकी लिखी ग़ज़ल जरुर सुनाएंगे। सुदर्शन इतना कहकर दुकान से चले गए और हस्तीमल हस्ती के दिल में उम्मीद का एक दिया जलने लगा।

सुदर्शन फाकिर ने जब हस्तीमल हस्ती की ग़ज़ल जगजीत सिंह को सुनाई तो उन्हें गजल पसंद आई। जगजीत सिंह ने ग़ज़ल को अपनी ग़ज़ल एल्बम में शामिल करने का निर्णय लिया। इस बात की ख़बर जब हस्तीमल हस्ती को मिली तो उन्हें यक़ीन नहीं हुआ। उनके ख्वाब हकीकत में बदल गए थे। उनकी ग़ज़ल को जगजीत सिंह गा रहे थे।

ग़ज़ल एल्बम की रिलीज से एक रोचक प्रसंग जुड़ा हुआ है। जब एल्बम रिलीज हुई तो नाम रखा गया “फेस टू फेस”। एल्बम में कुल 8 ग़ज़लें थीं। एल्बम के दोनों तरफ यानी 4 -4 ग़ज़लें थीं। हस्तीमल हस्ती की ग़ज़ल दूसरी तरफ़ थी और वह भी दूसरे नंबर पर। यानी उनकी ग़ज़ल छठी ग़ज़ल थी एल्बम में। यह देखकर हस्तीमल हस्ती थोड़े उदास हो गए। उन्हें लगा कि कौन वहां तक जाकर उनकी ग़ज़ल सुनेगा।

लेकिन नसीब का लिखा, मिलकर रहता है। हस्तीमल हस्ती की ग़ज़ल इतनी सुपरहिट हुई कि म्यूजिक कंपनी ने एल्बम को दोबारा रिलीज करने का निर्णय लिया। एल्बम का नया नाम था “ प्यार का पहला ख़त” और इस बार हस्तीमल हस्ती की ग़ज़ल एल्बम में पहले नंबर पर थी। इस तरह एक गुमनाम शायर, एक कारोबारी को उसके समर्पण, जुनून का फल रहा और इश्क़ करने वालों को “प्यार का पहला ख़त” के रुप में बेहतरीन हमराज, साथी मिला। हस्ती का मानना था कि यदि आप अच्छी शायरी करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको बहुत पढ़ना होगा, सिर्फ सोशल मीडिया पर ग़ज़लें पोस्ट कर लाइक हासिल करने से कुछ नहीं होगा।

(साभार आउटलुक)

 

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