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जमीन से उपजे लोक संस्कृतिकर्मी थे जुगल किशोर पेटशाली: चन्द्रशेखर तिवारी

-पहाड़ क़े लोक संस्कृति कर्मी जुगल किशोर पेटशाली का निधन, लंबे समय से थे बीमार, अपने संग्रहालय में संरक्षित ऐतिहासिक महत्व की सामग्री दून लाइब्रेरी को की थी भेंट

देहरादून: पहाड़ के लोक संस्कृति कर्मी जुगल किशोर पेटशाली का 79 वर्ष की उम्र में गुरुवार मध्य रात्रि रात उनके पैतृक गाँव पेटशाल में निधन हो गया। वे लम्बे समय से बीमार थे। वे एक ऐसे लोक संस्कृतिकर्मी और लेखक थे, जिनकी कलम ने हमेशा उत्तराखण्ड की थाती को समृद्ध करने का काम  किया।

अल्मोड़ा के निकट चितई में उन्होंने अपने प्रयासों से दो दशक पहले एक लोक संग्रहालय का निर्माण किया। बाद में 2021-2022 के दौरान अपनी अस्वस्थता के चलते उन्होंने इसकी अधिकांश सामग्री देहरादून स्थित दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र को निःशुल्क भेंट कर दी। वर्ष 2023 में दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र ने अपने नये परिसर भवन के तीसरे तल में इनके नाम पर जुगल किशोर पेटशाली संग्रहालय की स्थापना की, जिसमें इनके द्वारा प्रदत्त पुराने बरतन, हस्त लिखित किताब,  दुर्लभ वस्तुएं, काष्ठ बरतन, चित्र, पुस्तकें, कैसेट, वाद्य यंत्र, अल्पना,ग्रामोफोन और तमाम अन्य वसुओं का संग्रह किया है।

जुगल किशोर पेटशालि जी की हिन्दी में  कई किताब छपी हैं, इनमें मुख्यतः  -1.राजुला मालूशाही(महाकाव्य), 2.जय बाला गोरिया, 3.कुमाऊं के संस्कार गीत, 4.बखत (कुमाउनी कविता संग्रह), 5.उत्तरांचल के लोक वाद्य, 6.कुमाउनी लोकगीत, 7.पिंगला भृतहरि(महाकाव्य), 8.कुमाऊं के लोकगाथाएं, 9.गोरी प्यारो लागो तेरो झनकारो (कुमाउनी होली गीत संग्रह), तथा 10.भ्रमर गीत,(सम्पादित) हैं।

दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के अध्यक्ष प्रो. बीके जोशी, निदेशक एन. रवि शंकर, पूर्व मुख्य सचिव इन्दु कुमार पाण्डे, नृप सिंह नपलच्याल और केन्द्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी, डॉ. लालता प्रसाद, डॉ. योगेश घस्माना, निकोलस, सुंदर सिंह बिष्ट ने जुगल किशोर पेटशाली के निधन पर दुःख प्रकट‍ करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।

 

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