उत्तराखंडपुरस्कार/सम्मानपुस्तक समीक्षासाहित्य

अंधेरे में रास्ता दिखाती हैं ‘कमल’ की कविताएं 

-दून लाइब्रेरी में हर्षमणि भट्ट 'कमल' के कविता संग्रह 'मैं देख रहा हूं' का हुआ लोकार्पण, कमल‘ की कविताओं में सामाजिक संवेदनशीलता हुई है मुखरित, वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार सोमवारी लाल उनियाल, जनकवि डॉ. अतुल शर्मा, राजेन्द्र निर्मल, डॉ. सत्यानंद बडोनी और वीरेंद्र डंगवाल पार्थ ने रखी अपनी बात 

देहरादून: आज के मूल्यहीन माहौल में जब शोषण, भ्रष्टाचार और एकाधिकार की आसुरी प्रवृत्तियां प्रबल हैं, ऐसे में कवि कर्म अत्यंत कठिन चुनौती भरा मार्ग है। लेकिन हर्षमणि भट्ट ‘कमल’ ने अपने कविता संग्रह ‘मैं देख रहा हूं’ में इन चुनौतियों को स्वीकार करते हुए इन्हें आईना दिखाने का काम किया है। सच पूछिए तो कमल की कविताएं अंधेरे में रास्ता दिखाने का काम करती हैं।

वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार सोमवारी लाल उनियाल ‘प्रदीप’ ने दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से शनिवार शाम कवि हर्ष मणि भट्ट कमल के कविता संग्रह ‘मैं देख रहा हूँ‘ के लोकार्पण समारोह में अपने अध्यक्षीय उदबोधन में यह बात कही।

    उनियाल ने कहा कि एक मध्यम वर्गीय आदमी के अनुभूत सत्य को खूबसूरती और यथार्थता के साथ सरल शब्दों में कमल ने अपनी कविताएं पेश की हैं। मानवीय संवेदनाओं के मर्मस्पर्शी प्रकृटीकरण पर भी हर्षमणि भट्ट खरे उतरते हैं।

  जन कवि डॉ. अतुल शर्मा ने कहा कि इन कविताओं में सामाजिक संदर्भ और संवेदनशीलता दृष्टव्य है। सच कहने की क्षमता और साहस इन कविताओं में नजर आती है। भाषा में सरलता व मौलिकता है। कविता क्रांति हो या परिस्थिति और पोस्ट कार्ड इन सभी में समकालीन जीवन दृष्टि मुखरित है।

डॉ. सत्यानंद बडोनी ने कविता संग्रह में निहित कविताओं को रचनाधर्मिता और सर्जनशीलता के बहुआयामी धरातल को छूने वाली बताया। उन्होंने उनकी कुछ कविताओं का पाठ करके बताया कि उनकी कविताओं में प्राकृतिक बिम्बों की मनमोहक  अभिव्यक्ति प्रकट हुई है। राजेंद्र निर्मल ने कवि का परिचय और उनकी काव्ययात्रा पर चर्चा करते हुए बताया कि उनके दो काव्य संग्रह कुरेडी का बीच एवं अमर पथ वर्ष 1978 व 1987 में प्रकाशित हो चुके हैं। डॉ भट्ट के शोध प्रबंध का विषय छायावाद के संदर्भ में कवि चंद्रकुंवर बर्तवाल के काव्य का मूल्यांकन है। कवि विगत 50 वर्षों से अधिक समय से साहित्यिक कार्य में सक्रिय हैं। उनकी कविताएं मौलिक, संवेदनशील व अनुभूतियों से ओतप्रोत हैं।

डॉ. हर्षमणि भट्ट ‘कमल‘ ने अपने संग्रह पर बात रखते हुए कहा कि पर्वतीय जन जाग उठा कविता ने अपनी पचास वर्ष की काव्ययात्रा पूरी कर ली है। जबकि पावस मास इसी स्वतंत्रता दिवस पर अपनी 50 वर्षीय यात्रा पूरी करने जा रही है। सुधी पाठक कविता का जो मूल्यांकन करेंगे वही कविता का सही मूल्यांकन होगा।

समारोह का संचालन करते हुए कवि व गीतकार वीरेन्द्र डंगवाल ‘पार्थ‘ ने कहा कि डॉ. हर्षमणी भट्ट के काव्य संग्रह में आधी सदी के समय की यात्रा निहित है। कवि के जीवन अनुभव से उपजी एक-एक रचना पाठक की अपनी कविता है। यह काव्य संग्रह विशुद्ध रूप से साहित्यिक है, जिसे पाठक अपना स्नेह देंगे।

  कार्यक्रम के आरम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी ने उपस्थित लोगों का स्वागत किया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार केशव दत्त चंदोला, निशा रस्तोगी, विनोद सकलानी, प्रेम पंचोली, पीएस नेगी, दर्द गढ़वाली, पुष्पलता ममगाईं, डॉ. मनोज, शांति प्रकाश जिज्ञासु, सुरेन्द्र सिंह सजवान व सुंदर सिंह बिष्ट आदि मौजूद थे।

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57 कविताओं का अनूठा संग्रह

     डॉ. हर्षमणि भट्ट ‘कमल‘ की विभिन्न पृष्ठभूमि एवं संदर्भ की 57 कविताएं समाहित हैं। पहली कविता बच्चा में मां और बच्चे की ममता, दशा एवं दिशा का मार्मिक एवं हृदयस्पर्शी चित्र प्रस्तुत हुआ है। बच्चे को मेरे देश का देवता और बच्चे के घर को मेरे देश का मंदिर बताया गया है। प्रमुख तौर पर महंगाई, बरबादी, मैं देख रहा हूं, अध्यात्म और विज्ञान, परिस्थिति, नेक सलाह, पोस्टकार्ड, महामूर्ख बन गया हूं, श्रद्धा सुमन सर्वेश्वर जी को, एक टुकड़ा जिंदगी, भाव भूमि, शब्दों का स्वभाव, राजनीति, भाषा जनजन की आशा, संत रोजी की आत्मकथा, पावस मास, सूना प्रदेश और पर्वतीय जन जाग उठा है महत्वपूर्ण हैं।

 

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