वरिष्ठ साहित्यकार डॉली डबराल के उपन्यास ‘पत्थरों के बीच..एक प्रेम कथा’ का लोकार्पण
- वरिष्ठ शायर अंबर खरबंदा और डॉ. इंदू अग्रवाल को दिया गया शेरजंग गर्ग स्मृति सम्मान

देहरादून: राजधानी देहरादून में रविवार को यमुना कालोनी स्थित आफिसर्स सभागार में एक भव्य समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार डॉली डबराल के उपन्यास ‘पत्थरों के बीच..एक प्रेम कथा’ का लोकार्पण किया गया। लोकार्पण मुख्य अतिथि आईएएस अधिकारी संजीव चोपड़ा, मुख्य सूचना आयुक्त राधा रतूड़ी, पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. विजेंद्र पाल शर्मा और प्रोफेसर रामविनय सिंह ने किया। इस मौके पर वरिष्ठ शायर अंबर खरबंदा और डॉ. इंदू अग्रवाल को शेरजंग गर्ग स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ परंपरागत रूप से सरस्वती वंदना के द्वारा हुआ। इंगिता पुजारी ने अपनी सुमधुर प्रस्तुति से पूरे सभागार को पवित्र एवं संगीत मय कर दिया। इसके बाद वक्तव्य का सिलसिला शुरू हुआ।मुख्य वक्ता के रूप में पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी ने अपने प्रभावशाली वक्तव्य में कहा कि पत्थरों के बीच प्रखर लेखिका डॉली डबराल की 10 वीं पुस्तक है। यह लघु उपन्यास का कथानक आज के प्रगतिशील भारत में उनके कल अतीत की छाया प्रस्तुत करता है। पितृ सत्तात्मक समाज में महिला की दशा, बाल-विवाह,बाल- विधवा, गरीब,कुपोषण, भूमि हस्तांतरण, बंधुआ मजदूरी, बाल श्रम,श्रमिक शोषण, व्यवस्था का भ्रष्टाचार ऐसे जटिल समाज के मध्य विधवा के अंतर्जातीय प्रेम के दुस्साहस की कहानी व उसकी त्रासदी को लेखिका ने मार्मिक किंतु सराहनीय तरीके से प्रस्तुत कर समाज को दर्पण दिखाने का कार्य किया है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. विजयपाल शर्मा ने डॉली डबराल की पुस्तक के विषय में कहा कि यथार्थ की जमीन पर आदर्श की स्थापना डॉली डबराल की विशेषता है। उनकी रचनाओं में भाषा की सहजता और सरलता देखते ही बनती है। कुतूहल ऐसा कि पाठक पढ़ना आरंभ करें तो पुस्तक को पूरा पढ़े बगैर संतोष नहीं पाता। उनकी कविताओं, कहानियों उपन्यासों संस्मरणों में समाज की एक सुंदर छवि निर्मित करने का प्रयास निरंतर बना रहता है।
वास्तव में साहित्यकार का कार्य समाज की बुराइयों को सबके समक्ष लाकर उसमें निरंतर सुधार की कारगर कोशिश करना है। तभी तो वह समाज का दृष्टा और सर्जक कहलाता है। साहित्यकार डॉ. राम विनय सिंह ने कहा कि सुप्रसिद्ध लेखिका डॉली डबराल अपनी बेबाक और धारदार लेखन के लिए अपनी विशिष्ट पहचान रखती हैं। समय की नब्ज टटोलती हुई आपकी कथावस्तु पाठकों को इस तरह मुग्ध कर लेती है कि वह अपने अस्तित्व को नायक-नायिका अथवा तदतद पात्रों में एकाकार महसूस करने लगते हैं। रचनाकार की लेखनी की वास्तविक सफलता भी यही है। पत्थरों के बीच उपन्यास में लेखिका का युग-धर्म प्रेम की अंतरंग तरंगों से इतना हिंडोलित होता है मानो मोम और पत्थर के भावावेग टकरा रहे हो। क्रांति धर्मी आवेग को सहज ही जागृत करता हुआ यह उपन्यास सामाजिक कुप्रथाओं और भेदभाव की दीवारों को ढहा देने तथा सौम्य साम्य के संकल्प को पुष्ट करने के सात्विक संप्रेरण से भरा पूरा है।
मुख्य अतिथि संजीव चोपड़ा ने लेखिका डॉली डबराल की नवीनतम उपन्यास ” पत्थरों के बीच” पर चर्चा करते हुए कहा इस उपन्यास में लेखिका नारी पर अतीत में हुए सामाजिक अत्याचारों की कहानी को बहुत ही अच्छे ढंग से चित्रित करने में पूर्णतः सफल रही है।
कार्यक्रम के अध्यक्षता करते हुए मुख्य सूचना आयुक्त राधा रतूड़ी ने डॉली डबराल की नवीनतम कृति” पत्थरों के बीच (एक प्रेम कथा ) को बहुत ही ज्वलंत सामाजिक मुद्दों पर आधारित रचना बताया, जो हृदय की गहराइयों तक पहुँचती है । हमारे समाज में फैली बाल-विवाह, जाति- व्यवस्था और मजदूरों का शोषण इस कहानी के मुख्य पात्रों के माध्यम से पाठकों को सोचने के लिए मजबूर करता है। महिला सशक्तिकरण के यथार्थ को लेखिका ने बहुत ही मार्मिक रूप से प्रस्तुत किया है। सामाजिक न्याय और सब मानवों को समानता और बराबरी का अधिकार मिले, सम्मान मिले, उसके लिए यह पुस्तक एक जीवंत मिसाल है।
इस अवसर पर साहित्यकार डॉली डबराल ने देहरादून के सुप्रसिद्ध शायर डॉ शेरजंग गर्ग को श्रद्धा शब्द सुमन अर्पित करते हुए कहा कि वर्तमान में कवि साहित्यकार अपनी ही आत्म विमुग्धता में लीन हैं। पुराने श्रेष्ठ कवि साहित्यकारों को याद करना उनके साहित्य को जीवंतता देना भी साहित्यिक कर्म होना चाहिए।
कार्यक्रम में डॉक्टर सविता मोहन, डॉक्टर पुनीत त्यागी, दलजीत कौर, रजनीश त्रिवेदी, अनिल अग्रवाल, क्षमा कौशिक, बसंती मठपाल, शिव मोहन सिंह, गीतकार असीम शुक्ल, सुशील उपाध्याय, दिनेश शर्मा ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन डॉ. भारती मिश्रा ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन गीतकार सत्य प्रकाश सत्य ने किया।