जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में वामपंथियों का जलवा
चारों मुख्य पदों पर विजयी, अभाविप प्रत्याशी हारे

नई दिल्ली: चार साल के अंतराल में हुए जेएनयू छात्रसंघ के चुनाव में वामपंथी छात्र संगठनों का दबदबा फिर साबित हुआ। संयुक्त वामपंथी छात्र संगठनों का विश्व विद्यालय छात्रसंघ में विगत तीन दशकों से कब्जा बरकरार है। पिछला छात्रसंघ चुनाव 2019 में हुए थे।केंद्र में बीजेपी सरकार रहने के बावजूद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद – एबीवीपी अभी तक छात्रसंघ में काबिज नहीं हो पायी है।
केंद्रीय विश्व विद्यालय जेएनयू में फीस बढ़ोतरी, छात्रवृत्तियां, हास्टल सुविधायें, खानपान और सुरक्षा के मामले छात्र असंतोष के बड़े कारण रहे हैं। विगत शुक्रवार 22 मार्च को भारत के प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव हुआ।बीजेपी के छात्र संघठन एबीवीपी, कांग्रेस के एनएसयूआई, यूनाइटेड लेफ्ट फ्रंट – आईसा, एसएफआई, डीएसएफ और एआईएसएफ तथा बिरसा अंबेडकर फूले छात्र संगठन – बापसा ने इस चुनाव में शिरकत की।लगभग सात हजार छात्रों ने अपने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महामंत्री और संयुक्त सचिव का चुनाव किया।
अध्यक्ष पद पर आल इंडिया स्टूडेंट एशोसियेशन – आईसा के धनंजय कुमार ने 2598 मत प्राप्त कर निकटतम प्रतिद्वंदी एबीवीपी को 922 मत से हराया।उपाध्यक्ष पद पर अभिजीत घोष ने 2409 मत हासिल किए और एबीवीपी प्रत्याशी को 927 मतों से हराया।संयुक्त सचिव पद पर मोहम्द साजिद ने 2574 मत हासिल कर जीत हासिल की।महामंत्री पद पर यूनाइटेड लेफ्ट फ्रंट डीएसएफ प्रत्याशी स्वाति सिंह का नामांकन वोटिंग से कुछ घंटे पहले निरस्त हो गया।ऐसे में यूनाइटेड लेफ्ट फ्रंट ने बापसा महासचिव प्रत्याशी प्रियांशी आर्या को समर्थन दिया।पहली बार बिरसा अंबेडकर फूले छात्र संगठन – बापसा की प्रियांशी आर्या ने महासचिव पद पर जीत दर्ज की है। बापसा की स्थापना 2014 में हुई है। निर्वाचित महासचिव प्रियांशी आर्या को 2887 वोट मिले और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अर्जुन आनंद 926 वोट से हार गए। अपनी जीत का श्रेय सयुंक्त वामपंथी छात्र संगठनों ने फीस, छात्रवृत्ति, हास्टल, सुरक्षाजैसी सुविधाओं के लिए निरंतर आवाज़ उठाने को दिया है।
उधर अब प्रोग्रेसिव कहे जाने वाले जेएनयू परिसर में दलित, पिछड़े,अल्पसंख्यक वर्गों में छात्रों का ध्रुवीकरण शुरू हुआ है।फिलहाल चार साल बाद आयोजित छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी मुख्य कार्यकारिणी के पद फिर नहीं जीत पायी है।