आपकी भावनाओं का साथी होता साहित्य: नौडियाल
हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर ओंकारानंद सरस्वती राजकीय महाविद्यालय देवप्रयाग में विचार गोष्ठी

देहरादून: हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर ओंकारानंद सरस्वती राजकीय महाविद्यालय देवप्रयाग (टिहरी गढ़वाल) में विचार गोष्ठी का आयोजन महाविद्यालय की प्राचार्य अर्चना धपवाल की अध्यक्षता में किया गया। कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग की प्राध्यापक डॉ. सृजना राणा द्वारा किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां शारदे के सम्मुख दीप प्रज्वलन से हुआ। इसके बाद बीए प्रथम सेमेस्टर की छात्राओं द्वारा मां वीणावादिनी की वंदना प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए कार्यक्रम की संचालिका डॉ. सृजना राणा ने भारतेन्दु हरिश्चंद्र जी की काव्य पंक्तियों के साथ हिंदी भाषा की व्यक्ति एवं समाज की उन्नति में भूमिका पर विचार प्रस्तुत किए। हिंदी विभाग की प्राध्यापक डॉ रंजू उनियाल द्वारा हिंदी भाषा के विकास क्रम पर प्रकाश डाला गया। इसके बाद संस्कृत विभाग के प्राध्यापक डॉ. एम एन नौडियाल ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए जीवन में भाषा एवं साहित्य के महत्व पर प्रकाश डाला तथा कहा कि साहित्य आपकी भावनाओं का साथी होता है। साहित्य एवं भाषा के प्रति प्रत्येक व्यक्ति को अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करना चाहिए। कार्यक्रम में आगे के क्रम में बी ए प्रथम सेमेस्टर के छात्र-छात्राओं रितिका ,आयुषी ,इकरा खान, स्नेहा, शीतल चौहान , सुशीत, रोहित ,कोमल, कंचन इत्यादि ने स्वरचित कविता पाठ एवं गीत प्रस्तुत किए।इसके पश्चात जंतु विज्ञान विभाग के प्राध्यापक डॉ आदिल कुरैशी ने बोली और भाषा के मध्य के अंतर को समझाते हुए राष्ट्रभाषा, राज भाषा एवं मातृभाषा के रूप में वर्तमान समय में हिंदी की दशा और दिशा से छात्र-छात्राओं को अवगत कराया। अर्थशास्त्र विभाग के प्राध्यापक डॉ ओमप्रकाश ने कहा कि हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु व्यक्तिगत एवं सरकारी स्तर पर क्या प्रयास किए जाने चाहिए इस विषय पर गंभीरता से चिंतन करने की आवश्यकता है। शिक्षाशास्त्र विभाग के प्राध्यापक डॉ अमित कुमार ने कहा की भाषा विचार संप्रेषण का अत्यधिक सशक्त माध्यम है । हिंदी भाषा पर हर भारतीय को गर्व है परंतु इसके साथ-साथ अन्य भाषाओं का ज्ञान होना भी आवश्यक है। कार्यक्रम के अंत में अध्यक्षीय उद्बोधन में महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ अर्चना धपवाल ने कहा कि हिंदी दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी का प्रचार प्रसार करना है। यदि राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधना है तो एक राष्ट्रभाषा का बनना अनिवार्य है। प्राचार्य द्वारा कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु हिंदी विभाग को शुभकामनाएं दी गई। उपरोक्त कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक, शिक्षणेत्तर कर्मचारी एवं छात्र छात्राएं उपास्थित रहे।