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मध्य प्रदेश अकादमी को असली शाइरों की पहचान की ज़रूरत! 

♦️सारे देश में पारदर्शिता की एक मिसाल बन सकती है म.प्र. उर्दू अकादमी, सिर्फ एक पहल से साहित्यकारों में बढ़ जाएगी विश्वसनीयता, असली शाइरों की पहचान में ख़र्च होगा सिर्फ एक आल इंडिया मुशायरे जितना बजट

इंदौर: प्रदेश के कई शाइरों को मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी के आल इंडिया मुशायरों को लेकर इसलिए एतराज़ है, क्योंकि इसमें अकादमी के कुछ चहेते शाइरों को ही आमंत्रित किया जाता है और भारी-भरकम पेमेंट से नवाज़ा जाता है। ये सिलसिला पिछले क़रीब 10-12 सालों से जारी है। लोग सवाल पूछते हैं कि आख़िर ये आल इंडिया शाइर अकादमी के किन मापदंडों को पूरा करते हैं, जो इतने सालों से इन्हें लगातार बुलाया जा रहा है।

 

प्रदेश के अधिकांश सीनियर शाइर तो कभी कल्पना ही नहीं कर सकते कि शाइरी के तमाम फ़न जानने के बावजूद उर्दू अकादमी कभी उन्हें इन आल इंडिया शाइरों के बराबर पेमेंट देगी। मेरा ख़याल है कि मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी लोगों की इस ग़लत धारणा को सिर्फ एक बहुत आसान पहल से तोड़ सकती है।

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‘तलाश-ए-जौहर’ की तरह शुरू हो ‘तलाश-ए-गौहर’

बहुत से सीनियर शाइरों से बात करने के बाद जो कामन बातें निकल कर आई हैं, उसे मैं बिंदुवार यहां लिख रहा हूं-:
*(1)*- म.प्र. उर्दू अकादमी जिस तरह नये शोअरा के लिए ‘तलाश-ए-जौहर’ कार्यक्रम ‘करवा कर उनकी परीक्षा लेती है, उसी तरह उसे आल इंडिया शायरों के सिलेक्शन के लिए ‘तलाश-ए-गौहर’ कार्यक्रम शुरू करना चाहिए। इसमें उन सभी आल इंडिया शायरों को आवश्यक रूप से बुलाया जाना चाहिए जो बरसों से अकादमी के मुशायरे पढ़-पढ़ कर ढेर सारा पैसा कमा चुके हैं। इनमें प्रदेश के भी कुछ शाइर हैं और ज़्यादातर प्रदेश के बाहर के शाइर हैं।

*(2)*- उनके साथ प्रदेश के शाइरों को भी बुलाकर भोपाल में एक फ़िलबदी मुशायरा आयोजित किया जाना चाहिए।
*(3)* जो शाइर इस फ़िलबदी मुशायरे में शामिल होना चाहते हों, उन्हें भोपाल लाने की ज़िम्मेदारी अकादमी द्वारा ज़िला स्तर पर नियुक्त कार्डिनेटर्स को दी जानी चाहिए। उनके आने-जाने का ख़र्च ख़ुद अकादमी को उठाना चाहिए।
*(4)*- इस फ़िलबदी मुशायरे में शामिल होने वाले शाइरों की तादाद के हिसाब से भोपाल के किसी बड़े हाल या इनडोर स्टेडियम में इसका इंतज़ाम किया जाये।
*(5)*- मुशायरा स्थल पर सीसीटीवी लगवाएं जाएं ताकि हर एक्टिविटी पर कैमरे की नज़र हो।
*(6)*- मुशायरे में फ़िलबदी मुशायरे के लिए कम से कम पचास या सौ मिसरे पर्चियों पर लिखकर एक डिब्बे में रखे जाएं और छोटे से किसी बच्चे से उनमें से तीन पर्चियां निकलवाई जाए।
*(7)*- इस फ़िलबदी मुशायरे में शाइरों की ग़ज़लें जांचने के लिए तीन क़ाबिल जजों का सेलेक्शन, उनके बायोडाटा और अनुभव के आधार पर किया जाये।
*(8)*- ये जज बह्र,मिसरों के रब्त और शाइरी के ऐब के आधार के साथ ये भी देखें कि शाइर ने किस मैयार के शे’र कहे हैं। इसके आधार पर हर शे’र को A, B औ C ग्रेड दें। किसी शे’र में कोई कमी हो तो उसे काट दिया जाए।
*(9)*- ग़ज़ल कहने के लिए जो पेपर शाइर को दिया जाए,उस पर एक कोड नंबर डाल दिया जाए। वो कोड नंबर कम्प्यूटर में उस शाइर के नाम सेव होगा। इसलिए शाइर उस पेपर पर अपना नाम या मक़्ता नहीं लिखेंगे।
*(10)*- जैसे ही कोई शाइर ग़ज़ल कहकर देगा, वहां रखी फोटो कापी मशीन से फ़ौरन उसकी तीन कापी निकाली जाएगी और अलग-अलग जगह बैठ तीनों जजों को एक-एक कापी जांचने को दे दी जाएगी।
*(11)*- तीनों जज अपने-अपने हिसाब से उस ग़ज़ल के हर शे’र को जांचकर उसे ग्रेड देंगे।
*(12)*- मान लीजिए एक शाइर ने 10 शे’र कहे हैं।‌ एक जज ने उसके 4 शे’र को A ग्रेड,4 को B ग्रेड और 2 को C ग्रेड दी है। दूसरे जज ने उसी शाइर की ग़ज़ल के 3 शे’र को A ग्रेड,4 शे’र को B ग्रेड और 3 शे’र को C ग्रेड दी है। तीसरे जज ने उसी शाइर की ग़ज़ल के 5शे’र को A, 3 शे’ र B, और 2 शे’ र को C ग्रेड दी है। अब एक व्यक्ति इन तीनों जजों से उनके पेपर लेकर उस ग़ज़ल को कितने A मिले, कितने B मिले और कितने C मिले, ये फाइनल स्कोर ओरिजनल पेपर पर लिखकर इन तीनों जजों के पेपर उसके साथ एटेच कर देगा और वो कम्प्यूटर पर बैठे व्यक्ति को पंहुचा देगा। वो व्यक्ति पेपर पर लिखे कोड से शाइर का नाम देखेगा और उसका फाइनल स्कोर कम्प्यूटर में दर्ज कर देगा। इस तरह सभी शाइरों का आख़िरी रिजल्ट कम्प्यूटर में दर्ज होता जाएगा। अंत में जिसकी ग़ज़ल को सबसे ज़्यादा A ग्रेड मिली होगी उसे पहला नंबर और उसके बाद वालों को क्रमशः 2,3,4,5 से लेकर अंतिम नंबर तक वालों के क्रम कम्प्यूटर ख़ुद बता देगा। इस तरह से उर्दू अकादमी को पता चल जाएगा कि जिन शाइरों सबसे ज़्यादा A ग्रेड मिली है, उन्हें आल इंडिया मुशायरे पढ़ने का हक़ है और जो B ग्रेड वाले हैं, वो प्रादेशिक मुशायरे में शिरकत करेंगे। *अगर इनमें शकील आज़मी, अज़्म शाकिरी, मनमोहन दानिश, राजेश रेड्डी, नदीम शाद, आलोक श्रीवास्तव व नईम अख़्तर ख़ादमी, आदिल रशीद, मेहशर अफ़रीदी ( जिस पर शे’र चुरा कर पढ़ने के आरोप लग चुके हैं),* और वो अन्य शाइर-शाइरात जिनको अकादमी अपने मुशायरों में अक्सर बुला चुकी है, अगर वे सब A ग्रेड में पास होते हैं तो फिर किसी को उनके आल इंडिया मुशायरे पढ़ने पर कोई आपत्ति नहीं होगी।
अगर उर्दू अकादमी द्वारा आयोजित इस ‘तलाश-ए-गौहर’ कार्यक्रम में ये आल इंडिया शाइर, जिन्हें अकादमी बरसों से बुलाती आ रही है और उन पर प्रदेश का पैसा बहाती रही है, अगर इनमें से कोई नहीं आता है तो अकादमी उन्हें ब्लेक लिस्ट कर दे। और घोषणा कर दे कि अब कभी उन्हें आल इंडिया मुशायरे में अकादमी नहीं बुलवाएगी। और अगर हमारे प्रदेश के शाइर इनसे ज़्यादा कामयाब होते हैं तो फिर मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी को उन्हें ही आल इंडिया मुशायरे में मौक़ा देना पड़ेगा। यानी सारा मामला पारदर्शी हो जाएगा और मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी की खोई हुई साख भी वापस लौट आएगी।

(✍️ अखिल राज, पत्रकार-लेखक-शायर)

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