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भाजपा के कई दिग्गजों को अपने बूथों पर भी हार का सामना करना पड़ा,भाजपा अध्यक्ष भी नहीं बचा पाए अपना बूथ

देहरादून: उत्तराखंड में पंचायत चुनाव परिणामों ने पूरे प्रदेश में राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं। एक तरफ बीजेपी खुद की जीत का दावा कर रही है। दूसरी तरफ कांग्रेस जिन आंकड़ों को पेश कर रही है, उसमें कांग्रेस बढ़त बनाए नजर आ रही है. प्रदेश में भाजपा द्वारा अधिकृत किए गए 320 प्रत्याशियों में से 106 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है। वहीं कांग्रेस ने पूरे प्रदेश में 200 प्रत्याशी अधिकृत किए थे जिनमें से 98 जीत कर आए हैं. इस तरह से अगर जीत का प्रतिशत देखा जाए तो भाजपा से कांग्रेस आगे है. भाजपा अपने अधिकृत सीटों के मुकाबला लगभग 33 फीसदी सीटों पर जीती है, तो कांग्रेस 49 फीसदी सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रही है.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नहीं बचा पाए अपना बूथ: उत्तराखंड भाजपा के बड़े नेताओं में जिनकी विधानसभा और बूथ पर सबसे खराब परफॉर्मेंस रही है, उसमें सबसे आगे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट हैं. महेंद्र भट्ट के बूथ पर भारतीय जनता पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है।
दरअसल, चमोली जिले में जिला पंचायत सदस्य की कुल 26 सीटें हैं. जिसमें से भाजपा बमुश्किल आधा दर्जन सीटें भी नहीं जीत पाई. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, बदरीनाथ विधानसभा में अपना बूथ थाला हार गए. थराली से विधायक भोपालराम टम्टा की विधानसभा में भाजपा ने कई सीटें हारी हैं. कर्णप्रयाग विधायक अनिल नौटियाल की विधानसभा में भाजपा ज्यादातर सीटें हारे हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता अतुल सती का कहना है कि चमोली जिले में भारतीय जनता पार्टी का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है. बीजेपी ने इससे पहले बदरीनाथ विधानसभा का उपचुनाव हारा. उसके बाद निकाय चुनाव में बीजेपी को निराशा हाथ लगी. जबकि अब पंचायत चुनाव में बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी है.

बागेश्वर में सिटिंग ब्लॉक प्रमुख को मात्र 8 वोट: वहीं इसके अलावा बागेश्वर जिले में भी एक कमाल का चुनाव परिणाम देखने को मिला है. बागेश्वर जिले में बागेश्वर विधानसभा में पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवंगत चंदन रामदास की पत्नी पार्वती दास की पत्नी विधायक हैं और यहां पर भाजपा अधिकृत सिटिंग ब्लॉक प्रमुख पुष्पा देवी को मात्र 8 वोट मिले हैं. यहां पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की है. दूसरे नंबर पर कांग्रेस की अधिकृत प्रत्याशी रही.
पौड़ी के मंत्री, विधायकों का बुरा हाल: इसके अलावा मंत्रियों की बात की जाए तो पौड़ी गढ़वाल जिले से सरकार के वरिष्ठ मंत्री धन सिंह रावत की विधानसभा श्रीनगर में जिला पंचायत सदस्य के लिए 10 बूथ आते हैं, जिसमें से पार्टी ने 7 बूथों पर अपने प्रत्याशी अधिकृत किए थे, लेकिन उनमें से केवल 3 ही भाजपा जीत पाई है. 5 पर कांग्रेस प्रत्याशी जीते हैं. इसके अलावा अन्य पर निर्दलीय जीत कर आए हैं.
धन सिंह रावत के बाद सतपाल महाराज की विधानसभा में जिला पंचायत सदस्य के लिए 6 बूथ हैं, जिसमें 4 बीजेपी हारी है. इसके अलावा पौड़ी लोकसभा से सांसद अनिल बलूनी ने जिस बूथ पर वोट दिया था, भाजपा उस बूथ पर भी अपने अधिकृत प्रत्याशी को नहीं जिता पाई. इसके अलावा लैंसडाउन में विधायक दिलीप रावत की पत्नी नीतू रावत भी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार गईं.
उधम सिंह नगर में भी भाजपा का बुरा हाल: उधम सिंह नगर में मुख्यमंत्री धामी का बूथ नगर तराई तो भाजपा ने बचा लिया. लेकिन उसके अलावा उधम सिंह नगर में भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष उपेंद्र चौधरी की पत्नी कोमल चौधरी चुनाव हार गईं. रुद्रपुर के भाजपा विधायक शिव अरोड़ा की विधानसभा में भी भाजपा एक भी बूथ अपना नहीं जीत पाई. बल्कि राजकुमार ठुकराल जिनका भाजपा ने विधानसभा चुनाव में टिकट काटा था उनके द्वारा समर्थित प्रत्याशी सुषमा हलदर ने चुनाव जीता है.
भाजपा के परिवारवाद पर चला जनता का डंडा: इसके अलावा प्रदेश भर में चुनाव हारने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की बात करें तो उत्तरकाशी में पूर्व जिला अध्यक्ष सतेंद्र राणा के अलावा रुद्रप्रयाग में विधायक भरत चौधरी के रतूड़ा बूथ पर भी भाजपा चुनाव हारी है. वहीं केदारनाथ से विधायक आशा नौटियाल भी अपना बूथ बचाने में नाकामयाब रहीं.

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