पूजा खेड़कर से पहले भी कई आईएएस अफसर हो चुके हैं बर्खास्त
- पूजा का आचरण तो खराब था ही, नकली सर्टिफिकेट के जरिए बनी थी आईएएस

नई दिल्ली: ट्रेनी आईएएस अफसर पूजा खेडकर की उम्मीदवारी संघ लोक सेवा आयोग ने खत्म कर दी है. प्रमाण पत्रों से लेकर हस्ताक्षर तक में गड़बड़ी के कारण प्रोबेशन के दौरान ही उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है। इससे एक बात तय हो जाती है कि यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में चयन का मतलब यह कतई नहीं है कि नियुक्ति स्थायी हो गई है। ट्रेनिंग का दौर हो या फिर स्थायी नियुक्ति के बाद का, गलत आचरण से लेकर भ्रष्टाचार तक में कभी भी आईएएस अफसरों को भी बर्खास्त किया जा सकता है। इसके तमाम उदाहरण हमारे सामने हैं।
साल 2022 में सिविल सेवा परीक्षा में पहचान बदलने के साथ ही विकलांगता प्रमाण पत्र में गड़बड़ी की आरोपित पूजा खेडकर ने यूपीएससी की ओर से दिए गए नोटिस का जवाब नहीं दिया था। इसके कारण कारण उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है. यही नहीं, इसी मामले को लेकर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने साल 2009 से लेकर 2023 तक सिविल सेवा परीक्षा में चुने गए सभी अभ्यर्थियों के आंकड़ों को खंगाल डाला है।
पिछले 15 सालों में चयनित ऐसे अभ्यर्थियों की संख्या 15 हजार से अधिक बताई जा रही है। हालांकि, पूजा खेडकर को छोड़कर किसी अन्य उम्मीदवार ने अनुमति से ज्यादा प्रयास का लाभ लेने का दोषी नहीं पाया गया है। इस कार्रवाई से पहले पूजा खेडकर को मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल अकादमी ऑफ़ एडमिनिस्ट्रेशन (एलबीएसएनएए-लबासना) में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था। हालांकि, उन्होंने ऐसा भी नहीं किया। वैसे नियमत: पूजा खेडकर के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार लबासना के पास भी था। शायद इसीलिए उन्होंने अकादमी में रिपोर्ट नहीं किया।
अकादमी का निदेशक भी कर सकता है बर्खास्त
पूजा खेडकर को जब एलबीएसएनएए में तलब किया गया था, तभी अकादमी के अधिकार पर चर्चा शुरू हो गई थी। सवाल उठने लगे थे कि आखिर अकादमी ट्रेनी अफसर के खिलाफ किस तरह की कार्रवाई कर सकती है। इस पर रिटायर आईएएस अफसर व एलबीएसएनएए के पूर्व निदेशक संजीव चोपड़ा के हवाले से बताया गया था कि उचित आधार होने पर किसी भी प्रशिक्षु अफसर को बर्खास्त करने का अधिकार अकादमी के निदेशक के पास भी है और ऐसा पहले हो भी चुका है।
अनुशासनहीनता में निदेशक भी कर चुके बर्खास्त
यह साल 1981 का मामला है, जब अकादमी के तत्कालीन निदेशक पीएस अप्पू ने एक ट्रेनी अफसर को बर्खास्त कर दिया था। हालांकि, वह मामला अनुशासनहीनता से जुड़ा था। उस वक्त ट्रेनिंग में ट्रैकिंग के दौरान एक ट्रेनी अफसर ने खूब शराब पी ली थी। इसके बाद रिवाल्वर लोड कर दो महिला ट्रेनी आईएएस अफसरों पर तान दिया था। इस मामले की जांच में अफसर को दोषी पाया गया था। इसके बाद गलत आचरण के दोषी ट्रेनी अफसर को अकादमी के तत्कालीन निदेशक ने बर्खास्त कर दिया था।
पूजा खेडकर का मामला तो अनुशासनहीनता के साथ ही फर्जी दस्तावेज तैयार कर पहचान बदलने से भी जुड़ा है। उनके खिलाफ दिल्ली में एफआईआर तक दर्ज कराई जा चुकी है। यही नहीं, दिल्ली की एक कोर्ट में उनकी ओर से अग्रिम जमानत याचिका दायर की गई है। अगर कोर्ट जमानत नहीं देती है तो उनको गिरफ्तार भी किया जा सकता है।
स्थायी अफसर भी हो चुके बर्खास्त
ट्रेनी अफसरों से कहीं ज्यादा स्थायी आईएएस अफसरों की बर्खास्तगी अलग-अलग मामले में हो चुकी है। 1979 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अफसर अरविंद जोशी के घर पर छापेमारी के बाद अरबों रुपये की संपत्ति का खुलासा हुआ था। उनकी पत्नी टीनू जोशी भी आईएएस अफसर थीं। इसके बाद भ्रष्टाचार के मामले में पति-पत्नी को सेवा से हटाने का प्रस्ताव अक्तूबर 2011 में मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को दिया था। 2014 के जुलाई में दोनों को बर्खास्त कर दिया गया था। साल 2017 में अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित (एजीएमयूटी) कैडर के आईएएस अफसर के नरसिंह को ड्यूटी में लापरवाही के आरोप में बर्खास्त किया गया था। वह 1991 बैच के आईएएस थे।
स्थायी और प्रोबेशनरी अफसरों की बर्खास्तगी के अलग-अलग नियम
वैसे स्थायी आईएएस अफसरों और ट्रेनी की बर्खास्तगी के लिए अलग-अलग नियम हैं। स्थायी रूप से नियुक्त आईएएस अफसर को संविधान के अनुच्छेद 311(2) के तहत बर्खास्त किया जाता है। इसके तहत सबसे पहले आईएएस अफसर के खिलाफ आरोप पत्र तैयार किया जाता है। इसके साथ सेवा नियमों के अनुसार जांच भी होती है। कुछ अपवाद मामले भी होते हैं, जिनमें जांच नहीं होती।
वहीं, कोई प्रोबेशनरी आईएएस अफसर अगर ट्रेनिंग के बाद परीक्षा में फेल होता है तो उसे फिर मौका मिलता है। इसमें भी फेल होने पर उसकी सेवा खत्म हो सकती है। केंद्र सरकार को अगर यह लगता है कि कोई प्रोबेशनरी आईएएस अफसर नियुक्ति के योग्य नहीं है तो भी उसे बर्खास्त किया जा सकता है। ऐसा कोई अफसर अपनी पढ़ाई और जिम्मेदारियों की जान-बूझकर अनदेखी करता है, उसमें जरूरी गुणवत्ता और चरित्र नहीं मिलता है तो भी बर्खास्त किया जा सकता है. बाकी यूपीएससी और लाल बहादुर शास्त्री नेशनल अकादमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन के पास भी इनकी उम्मीदवारी रद्द करने और बर्खास्तगी का अधिकार है ही, हालांकि इस पर अंतिम मुहर राष्ट्रपति लगाते हैं।
आईएएस अधिकारी की सेवा के नियम और बर्खास्तगी का जिक्र संविधान के अनुच्छेद 311 में है। यह अनुच्छेद कहता है कि कोई भी व्यक्ति जो संघ की सिविल सेवा या अखिल भारतीय सेवा या राज्य की सिविल सेवा का सदस्य होता है, उसकी नियुक्ति करने वाली अथॉरिटी के अलावा कोई और उसे पद से नहीं हटा सकता। यानी अगर कोई संघीय सेवा का अफसर है तो उसे केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति और कोई राज्य की सिविल सेवा का अफसर है तो उसे राज्य सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल बर्खास्त करते हैं। (टीवी 9 भारतवर्ष से साभार)