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‘ शहीदों का सदा यशगान होना चाहिए’ 

- हृदयांगन साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था एवं जीवन्ती देवभूमि साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर किया कवि सम्मेलन और मुशायरा 

देहरादून: स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर ‘हृदयांगन साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था’ और ‘जीवन्ती देवभूमि साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था’ के संयुक्त तत्वावधान में एक भावपूर्ण काव्य-संध्या “एक शाम वीरों के नाम” का भव्य आयोजन किया गया।इस अवसर पर साहित्य-प्रेमियों एवं कवियों ने देशप्रेम, शहीदों की स्मृति और वीर सैनिकों के अदम्य साहस को अपनी कविताओं व गीतों के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित किया। प्रिय धृती चतुर्वेदी ने सुरीले कंठ से माहिषासुर मर्दनी  सुनाकार मन्त्र मुग्ध कर  दिया। गोष्ठी की अध्यक्षता हृदयंगान की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विद्युत प्रभा चतुर्वेदी ‘मंजू’ ने की, जबकि कविता बिष्ट और मणि अग्रवाल मणिका ने गोष्ठी का प्रभावी संचालन किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. उषा झा ‘रेणु’ द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ, जिसने वातावरण को भक्ति और साहित्यिक ऊर्जा से सराबोर कर दिया। युवा कवयित्री कविता बिष्ट ‘नेह’ ने अपनी कविता ‘देश प्रेम की ज्वाला जागी तन-मन हुआ उमंगा। हिम से सागर तक फैला है हर्षित आज तिरंगा’ से देशप्रेम का इजहार किया। ओज कवि जसवीर सिंह ‘हलधर’ ने अपनी कविता ‘देश के ध्वज का हमेशा मान होना चाहिए। राष्ट्र गरिमा का सभी को भान होना चाहिए।। लिख गए जो वीर गाथा काल के भी भाल पर , उन शहीदों का सदा यशगान होना चाहिए।।’ से श्रोताओं में देशभक्ति का जोश भरा। महेश्वरी कनेरी ने अपनी रचना ‘ तन मन प्राण वारूँ  वंदन नमन करुँ l गाऊँ यशोगान सदा, मातृभूमि के लिए’ से तालियां बटोरी।

इसके अलावा नीरू गुप्ता ‘मोहिनी’ की कविता ‘सब देशों में सबसे प्यारा , मेरा भारत देश महान। नाज़ मुझे अपने भारत पर, है इस पर मुझको अभिमान।।’ को भी खूब दाद मिली। वरिष्ठ गीतकार शिव मोहन सिंह ने अपनी कविता ‘भारत के हित भाव-कर्म से, जो जीते हैं मरते हैं। उनके लिए हमारे दिल में मान रहे सम्मान रहे।’ से खूब वाहवाही लूटी। दर्द गढ़वाली के इस शेर ‘उसे कोई बताओ मैं नदी हू, जो मेरा रास्ता रोके खड़ा है। ‘ को भी सराहा गया। मुख्य अतिथि डिप्टी कमिश्नर (जीएसटी) विजय कुमार द्रोणी की कविता को भी खूब सराहा गया।

इसके अलावा, वरिष्ठ गीतकार सत्यप्रकाश शर्मा सत्य, डॉ.क्षमा कौशिक, जी.के. पिपिल, श्रीकांत श्री, संगीता विर्मानी ‘सांध्या’, शोभा पाराशर, निशा अतुल्य, स्वाति मौलश्री, श्री शिव शंकर कुशवाहा ने भी अपनी रचनाओं से वाहवाही लूटी।

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