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फिल्मों के बहाने बेहतर जिंदगी का दिया संदेश

-दून पुस्तकालय में हुआ चार महत्वपूर्ण वृत्तचित्रों का प्रदर्शन

देहरादून: दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से बुधवार को एचआईवी/एड्स,विकलांगता,मानसिक बीमारी ओर नशे की लत के साथ दिनचर्या चलाने के सन्दर्भ में चार वृतचित्र फिल्मों का प्रदर्शन किया गया।हर रोज जीना इनके साथ शीर्षक के तहत मासिक फिल्म प्रदर्शन श्रंखला के तहत निकोलस हॉफलैण्ड द्वारा यह फिल्में संस्थान के सभागार में दिखाई गयीं।
पहली प्रदर्शित फिल्म अपर्णा सान्याल की ए ड्रॉप ऑफ सनशाइन थी।इस फिल्म में रेशमा वल्लियप्पन की कहानी और उसकी यात्रा अंततःसिजोफ्रेनिया पर विजय को दिखलाती है। निश्चित ही यह महत्वपूर्ण सामाजिक फिल्म है। अपर्णा सान्याल दिल्ली स्थित एक फिल्म निर्माता और निर्माता हैं, जिन्होंने डिस्कवरी, हिस्ट्री, नेशनल ज्योग्राफिक, टाइम्स नाउ, हेडलाइंस टुडे, सीएनएन और बीबीसी जैसे चौनलों के लिए वृत्तचित्रों और टीवी शो पर बड़े पैमाने पर काम किया है। उनकी कुछ चर्चित फिल्में टेढ़ी लकीर, द क्रुक्ड लाइन, शून्यता शोवना और द मॉन्क्स हैं।

सी. वनजा कुमारी द्वारा निर्देशित की गई दूसरी फिल्म पॉजिटिव लिविंग, एचआईवी से पीड़ित उन महिलाओं की कहानी बताती है जिन्होंने नियति को चुनौती दी और सामाजिक बहिष्कार और अनिश्चित भविष्य के खिलाफ, सम्मान और आशा के साथ जीवन की अपनी यात्रा जारी रखी। सी. वनजा कुमारी हैदराबाद स्थित एक पुरस्कार विजेता पत्रकार और फिल्म निर्माता हैं जिनका काम विकास के मुद्दों पर केंद्रित है। उनकी प्रशंसित और पुरस्कार विजेता वृत्तचित्रों में रेड कॉरिडोर, स्मरण और ब्रीडिंग इनवेजन प्रमुख हैं।
तीसरी फिल्म अक्कसेक्स श्वेता घोष द्वारा निर्देशित है जो चार कहानीकारों के माध्यम से सौंदर्य, आदर्श शरीर और कामुकता की धारणाओं की पड़ताल करती है – महिलाएं जो विकलांग होती हैं। श्वेता घोष एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता और शोधकर्ता हैं। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई से रजत पदक विजेता, उन्होंने विभिन्न शोध और फिल्म परियोजनाओं के माध्यम से भोजन, यात्रा, संगीत और विकलांगता में अपनी रुचि का पता लगाया है।
अन्तिम प्रदर्शित फिल्म बेयर 2015 की अमेरिकी ड्रामा फिल्म है, जो नतालिया लेइट द्वारा लिखित और निर्देशित है और एलेक्जेंड्रा रोक्सो, नतालिया लेइट और चाड ब्यूरिस द्वारा निर्मित है।यह फिल्म नेवादा के एक छोटे से रेगिस्तानी शहर में रहने वाली एक युवा महिला की कहानी है, जो एक शराबी महिला के साथ रोमांटिक रूप से जुड़ जाती है, जो उसे ड्रग्स, स्ट्रिपिंग और साइकेडेलिक आध्यात्मिक अनुभवों के जीवन में ले जाती है। इस फिल्म का वर्ल्ड प्रीमियर 19 अप्रैल 2015 को ट्रिबेका फिल्म फेस्टिवल में हुआ था।
इन फिल्मों के प्रर्दशन के दौरान डॉ.अतुल शर्मा, डॉ.सुरेंद्र दत्त सेमल्टी, विजय भट्ट, बिजू नेगी, अरुण असफल, अनिल डोगर व विवेक तिवारी सहित फिल्म प्रेमी, रंगकर्मी, लेखक ,साहित्यकार और युवा पाठक उपस्थित रहे।

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