लोक कलाकारों का फूटा गुस्सा, संस्कृति विभाग पर दिया धरना
- जीएसटी खत्म करने और मानदेय समय से देने की उठाई मांग, गढ़रत्न नेगी दा ने 'जागो उत्तराखंडियों जागो' गीत से जगाया जोश, भाषा सचिव ने एक माह में मांगों पर सकारात्मक कदम उठाने का दिया आश्वासन

देहरादून: अधिकारियों की मनमानी से क्षुब्ध लोक कलाकारों का गुस्सा बुधवार को संस्कृति विभाग पर फूट पड़ा। गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी की मौजूदगी में तमाम लोक कलाकारों ने जीएसटी खत्म करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर संस्कृति विभाग के परिसर पर धरना दिया और नारेबाजी की। उन्होंने विरोध में काली पट्टी भी बांधी। इस दौरान नेगी दा ने मांगों को जायज बताते हुए ‘जागो उत्तराखंडियों जागो’ गीत से लोक कलाकारों में जोश जगाया। धरनास्थल पर पहुंचे भाषा विभाग के सचिव युगल किशोर पंत ने लोक कलाकारों को एक माह के भीतर उनकी मांगों पर सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया।
लोक कलाकार नरेंद्र रौथाण ने कहा कि लोक कलाकारों का शोषण किया जा रहा है। कई कलाकार ऐसे हैं, जिन्हें महीनों तक काम नहीं दिया जाता। स्थिति यह आ गई है कि उन्हें धरना देने को मजबूर होना पड़ रहा है। लोकगायक सौरभ मैठाणी ने कहा कि लोक कलाकारों को मामूली मानदेय दिया जा रहा है, जिससे उनका गुजारा संभव नहीं है। स्वाभिमान मोर्चा के नेता मोहित डिमरी ने भी लोक कलाकारों की मांगों का समर्थन किया। धरना देने वाले कलाकारों में चंदन नेगी, रितेश जोशी, किसन लाल, प्रकाश बिष्ट, गोकुल बिष्ट, ललित बिष्ट, भुवन जोशी, सुषमा नेगी आदि शामिल थे। ——————-
ब्यथा सुनाते रो पड़े कलाकार
देहरादून: संस्कृति विभाग में धरना दिए जाने के दौरान कुछ कलाकार अपनी ब्यथा सुनाते रो पड़े। कलाकारों का कहना था कि कहने को उन्हें संस्कृति का रक्षक कहा जाता है, लेकिन उन्हें इतना मानदेय भी नहीं मिलता कि वह अपने परिवार का गुजारा कर सकें। बालीवुड कलाकारों को लाखों रुपए दे दिए जाते हैं, जबकि लोक कलाकारों का भुगतान में भी कटौती कर दी जाती है। वह कार्यक्रम के लिए कर्ज उठाते हैं, लेकिन संस्कृति विभाग से भुगतान न होने के कारण वह कर्ज भी नहीं चुका पाते। इस दौरान लोक कलाकार सुषमा नेगी ने बताया कि तबला वादक मनोज कुमार का कुछ समय पहले एक्सीडेंट हो गया था और एक माह से दून अस्पताल में भर्ती हैं, लेकिन संस्कृति विभाग के किसी अधिकारी ने उनकी सुध नहीं ली, जबकि विभाग कलाकारों का हितैषी होने का दम भरता है।
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यह हैं प्रमुख मांग
– सांस्कृतिक दलों का भुगतान एक माह में किया जाए और भुगतान होने पर उसका विवरण दल नायक को दिया जाए।
– सभी सांस्कृतिक दलों और लोक कलाकारों को जीएसटी से मुक्त किया जाए। केंद्र की भांति मानदेय दिया जाए।
– सभी सांस्कृतिक दलों को पूर्व की भांति यात्रा भत्ता दिया जाए।
– सभी सांस्कृतिक दलों और लोक गायकों को रोस्टर के हिसाब से कार्यक्रम दिया जाए ना कि डिमांड के हिसाब से।
– लोक कलाकारों की पेंशन में वृद्धि की जाए और पात्रता उम्र 55 वर्ष की जाए।
– कुमाऊं के सभी सांस्कृतिक दलों के बिल अल्मोड़ा और गढ़वाल के पौड़ी कार्यालय में जमा हों और भुगतान वहीं से किया जाए।
– लोक कलाकारों को चिन्हित कर सूचीबद्ध किया जाए और उन्हें सम्मान के साथ प्रदेश के मेलों में बालीवुड कलाकारों की जगह कार्यक्रम दिया जाए।